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मूंगफली खाने के हैं अनोखे फायदे, उत्पादन कर मालामाल हो सकते हैं किसान

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कानपुरः मूंगफली एक ऐसा खाद्यान्न है जिसमें प्रोटीन मांस, अंडा और फलों से कई गुना पाई जाती है। यही नहीं भारत में मूंगफली की फसल बहुतायत मात्रा में उगाई जाती है जो विश्व के कुल उत्पादन का 34 फीसद है। किसान अगर वैज्ञानिक ढंग से मूंगफली की फसल का उत्पादन करें तो मालामाल हो सकते हैं। यह बातें मंगलवार को सीएसए के कृषि वैज्ञानिक डॉ. महक सिंह ने कही।

चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. के निर्देश पर अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. महक सिंह ने बताया कि खरीफ के मौसम में तिलहनी फसलों के अंतर्गत मूंगफली की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है। यही नहीं देश में मूंगफली का उत्पादन विश्व के उत्पादन में 34 फीसद की भागीदारी है। उन्होंने कहा की मूंगफली का देश में क्षेत्रफल 5.02 मिलियन हेक्टेयर है तथा उत्पादन 8.11 मिलियन टन तथा उत्पादकता 1616 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। जबकि उप्र में मूंगफली का क्षेत्रफल 1.01 लाख हेक्टेयर, उत्पादन एक लाख मीट्रिक टन तथा उत्पादकता 984 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है।

मूंगफली में होता है भरपूर प्रोटीन

डॉ. महक सिंह ने बताया कि मूंगफली के दानों में 25 से 30% प्रोटीन, 10 से 12% कार्बोहाइड्रेट तथा 45 से 55% वसा पाई जाती है। उन्होंने बताया कि मूंगफली में प्रोटीन, लाभदायक वसा, फाइबर, खनिज, विटामिंस और एंटी ऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से त्वचा उम्र भर जवां दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अंडों से 2.5 गुना एवं फलों से आठ गुना अधिक होती है। उन्होंने किसानों से अपील की है कि इस समय मूंगफली की खेती लगभग 20 से 25 दिनों की हो गई होगी। तो फसल में खरपतवारों की समस्या हो तो निराई गुड़ाई अवश्य कर दें। यदि फसल 35 से 40 दिन की हो गई हो तथा खूंटियां बननी शुरू हो गई हों तो निराई गुड़ाई न करें। इस समय किसान जब खुटिया निकल रहे हों तो जिप्सम का प्रयोग अवश्य करें जिससे तेल की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है।

रोगों से ऐसे करें बचाव

उन्होंने कहा कि मूंगफली की फसल में टिक्का एक बीमारी आती है, जिसके नियंत्रण के लिए फफूंदी नाशक खड़ी फसल में मैनकोज़ेब 50 प्रतिशत डब्ल्यूपी 225 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव कर दें। इसके अतिरिक्त मूंगफली में सफेद गिडार कीट लगता है उसके नियंत्रण के लिए किसान क्लोरपीरिफॉस रसायन की 4 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें। उन्होंने किसानों को यह भी सलाह दी है कि मूंगफली की फसल को एक साथ पकने के लिए बोरेक्स 04 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का बुरकाव कर दें। मीडिया प्रभारी डॉ. खलील खान ने बताया कि जब मूंगफली के अंदर का भाग कत्थई रंग का दिखाई दे तो खुदाई का उपयुक्त समय होता है।

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