लखनऊः शहर की महिलाएं ज्यादातर पढ़ी-लिखी हैं। इनमें तमाम नौकरी करती हैं या फिर बिजनेस संभाल रही हैं। कुछ महिलाएं घर संभालने के बाद जो समय निकल पाता है, उसे प्रकृति को बलवान बनाने के लिए समर्पित कर देती हैं।
इन्हीं में एक हैं अलीगंज निवासी रश्मि अरोड़ा। रश्मि का अपना मेडिकल संबंधी व्यवसाय है, लेकिन वह इससे भी ज्यादा समय अपने घर पर लगाए गए पौधों के लिए निकालती हैं।
रश्मि कहती हैं कि उनकी कोशिश है कि शुद्ध हवा उनके घर और आंगन में ही मिल जाए। दिन भर की भागम-भाग के बाद बहुत कम लोग हैं, जिनका लगाव पेड़ और पौधों से है। वह कहती हैं कि उनके घर में तमाम तरह के फूल और सब्जियों के पौधे हैं। इनमें टमाटर, बैंगन, लौकी और तरोई के अलावा पालक जैसी पत्तेदार सब्जियां हैं। घर में तमाम गमले रखे हुए हैं। इनमें ही पौधे लगाए गए हैं। कुछ पौधे इनडोर तो कुछ आउटडोर के हैं। वह बताती हैं कि खुद ही इन पौधों को पानी और खाद देती हैं। सबसे कठिन प्रक्रिया होती है कि सीजन के मुताबिक बीज और पौधे खरीद कर लाना और उनको लगाना। इस दौरान काफी पौधे सूख जाते हैं और बीज भी उगते नहीं हैं। इसके बाद भी उनका मन कभी भंग नहीं होता है।
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रश्मि का कहना है कि एक घर में केवल गमले में इतनी सब्जी उगाई जा सकती है कि चार और पांच आदमी के लिए साल भर सब्जी कम नहीं रहेगी। बस थोड़ी सी मेहनत करनी होती है। इस काम के लिए समय भी निकालना होता है और खरीददारी में पैसे तो खर्च होते ही हैं लेकिन घर हमेशा हरा-भरा रहता है। जो बाग और बगीचे नहीं दे पाते हैं, वह घर पर ही मिल जाता है। रश्मि ने अपने घर में गमलों को छत और छज्जे के अलावा बाहर बरामदे में लगा रखा है। इन्हें बेल वाले पौधों को रस्सियों और डंडियों के सहारे लटका रखा है। इनसे ही इन्हें भरपूर मात्रा में सब्जियां मिल जाती हैं।
- शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट
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