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पौधों को चाहिए भरपूर न्यूट्रिशन, केवल खाद से नहीं मिलता संपूर्ण पोषण

Plants need plenty of nutrition, not just fertilizer provides complete nutrition
plants-soil लखनऊः हरियाली के शौकीन जब फसल या पौधों को लगाने के उद्देश्य में सफल नहीं होते हैं, तो उन्हे हताशा मिलती है। वह तमाम स्थानों पर जाकर अपनी समस्या का समाधान मांगते तो हैं, लेकिन उनको इस बात की गारंटी नहीं मिलती है कि आने वाले समय में ऐसी परेशानी फिर नहीं आएगी। ऐसे लोगों को लखनऊ नर्सरी के संचालक पौधों को भरपूर न्यूट्रिशन देने की सलाह दे रहे हैं। बीते साल कुछ लोगाें ने गर्मियों में कद्दूजनित बीज बोए थे। इनकी बढ़वार तो ऐसी रही कि इससे पहले शायद देखी गई हो। वहीं, कुछ लोगों को पौधों से फल नहीं मिले। वह नर्सरियों या उन केंद्रों पर नाराजगी जताते रहे, जहां से बीज खरीदे थे। इन दिनों बारिश देखकर किसानों ने बीज खरीदना शुरू कर दिया है। लखनऊ नर्सरी में एक सप्ताह से बीजों की खरीद तेज हुई है। बीते साल की समस्या का जिक्र करते हुए नर्सरी संचालकों ने बताया कि एक साथ तमाम लोगों के सामने ऐसी समस्या आई, इसलिए बीजों की गुणवत्ता पर संदेह किया सकता है लेकिन यह समझना जरूरी है कि पौधों को बराबर न्यूट्रिशन मिल पा रहा है या नहीं? पिछले साल आशियाना क्षेत्र में पेशे से वकील पंकज कुमार ने नर्सरी से खरीदे गए बीज बोए थे। यह कद्दू जनित थे। उनकी शिकायत थी कि चार माह तक पौधोें की सेवा की। इनकी बढ़वार भी खूब हुई, लेकिन फल नहीं आए। कुछ दूरी पर बिजनौर के माती क्षेत्र में श्रवण कुमार ने भी तरोई के बीज बोए थे, इनकी बढ़वार भी खूब हुई और वैसे ही खूब फल भी आए। श्रवण ने जो बीज बोए थे, वह घर में ही तैयार हुई तरोई के थे। दरअसल, यह बात बागवानों को समझने की जरूरत है कि वह चाहे किसान हो, गार्डनिंग करने वाला हो या फिर किचन गार्डनर हो, हर किसी को पोषक तत्व की जानकारी रखकर ही पौधे लगाना चाहिए। यदि मिट्टी की गुणवत्ता सही नहीं है, तो उस पर फसल की गारंटी नहीं ली जा सकती है इसलिए पहले मिट्टी को पोषक तत्व दें। बीज बोने के बाद भी इसका हर सप्ताह ध्यान रखें। ये भी पढ़ें..किसानों को फिर लुभाने लगी अलसी, सरकारी प्रोत्साहन मिलने से दिलचस्पी दिखाने लगे कृषक

गोबर में नहीं मिलते सारे पोषक तत्व -

कुछ लोग गोबर की खाद डाल देते हैं और इसे पर्याप्त मानते हैं, लेकिन क्या गोबर की खाद में सारे पोषक तत्वों की मौजूदगी रहती है। विशेषज्ञ लालचंद कहते हैं कि शरीर की तरह ही पौधों को भी भरपूर न्यूट्रिशन की जरूरत होती है। यह रसायनों से मिलती है। वह बताते हैं कि इसमें संदेह नहीं है कि रसायन नुकसानदेय हैं, लेकिन कुछ मात्रा में देना जरूरी होता है। इसमें पोटैशियम, नाइट्रेट, जिंक, फास्फोरस एक निश्चित अनुपात में पौधों को मिलना चाहिए। मिट्टी में पौधे बढ़ सकते हैं, लेकिन उपज नहीं दे सकते हैं। गोबर की खाद जरूरी है, लेकिन अन्य रसायन का मिश्रण भी जरूरी है। इसी तरह से पौधों को हवा और पानी तो पहुंचाया जाता है, लेकिन इनके साथ धूप का मिलना जरूरी है। पौधों को जड़ से धूप मिलना चाहिए। लालचंद बताते हैं कि गेहूं, सरसों के अलावा तमाम सब्जी जनित फसलों में बढ़वार खूब देखी गई, लेकिन इनमें फलियां नहीं मिल सकीं। इसका भी कारण था कि जो तत्व और ऊर्जा सूरज से मिलती है, सूर्य की किरणें उस तक नहीं पहुंच सकी, और कहीं इसका स्रोत भी नहीं होने के कारण फसल शून्य लाभ तक पहुंची है।

पौधों के न्यूट्रिशन की जानकारी जरूरी -

लालचंद बताते हैं कि वर्मी कंपोस्ट का चलन काफी बढ़ा है। गमलों में पौधे लगाने वालों की संख्या भी काफी बढ़ी है, मगर अफसोस यह है कि हाथ में खुर्पी लेने वाले बहुत कम लोेग हैं। वह कहते हैं कि लोग माली के जरिए पौधों की सेवा करवाने में गौरवान्वित होते हैं, लेकिन थोड़ी जानकारी खुद लेना पसंद नहीं करते हैं जबकि उनके माली को भी पौधों के लिए न्यूट्रिशन या फिर उनकी मात्रा की तनिक भी जानकारी नहीं रहती है। वह बताते हैं कि एक तुलसी के पौधे को जल से जीवन मिल जाता है, जबकि पानी की मात्रा बढ़ने पर यह सूख जाती है। - शरद त्रिपाठी की रिपोर्ट (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)