लखनऊः प्रदेश के किसानों को आगामी दिनों में मौसम आधारित कृषि परामर्श के लिए गहन मंथन चल रहा है। क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की द्वितीय बैठक इसी सिलसिले में थी। पहले भी ग्रुप इस दिशा में प्रयास करता रहा है, जिससे समय-समय पर किसानों को मौसमी नुकसान न हो। इसमें तमाम वैज्ञानिकों को बुलाया जा चुका है।
वैज्ञानिकों ने बैठकों को महत्वपूर्ण माना है। इसमें डाॅ. संजय सिंह, महानिदेशक, उप्र कृषि अनुसंधान परिषद की अध्यक्षता में 17 मई को तमाम सुझाव शामिल किए गए। हालांकि, दिन बीतते जा रहे हैं। तमाम तरह की नर्सरियों का समय भी चल रहा है, लेकिन अभी तक बेहतर खेती के लिए मौसम के कारण होने वाले नुकसान का समाधान नहीं निकाला जा सका है। यह तभी संभव है, जबकि करीब ढाई-तीन माह पहले ही मौसम संबंधी जानकारियां किसानों को दी जाएं।
कृषि अनुसंधान परिषद ने आंचलिक भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र, अमौसी, कृषि विश्वविद्यालयों के मौसम वैज्ञानिक एवं फसल वैज्ञानिकों, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य विभाग, गन्ना विभाग तथा परिषद के अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों को भी बुलाकर ऐसी तमाम समस्याओं पर चर्चा कराकर हल निकालने की कोशिश भी की। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक विनोद कुमार तिवारी ने बताया कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग से प्राप्त मौसम पूर्वानुमान एवं उपग्रह से प्राप्त चित्रों के विश्लेषण के अनुसार 23 मई तक उत्तर प्रदेश के पश्चिम, पूर्वी, मध्य एवं बुंदेलखण्ड के सभी जलवायुवीय क्षेत्रों में मौसम इस प्रकार रहने की संभावना है।
22 एवं 23 मई में प्रदेश के बुंदेलखण्ड, पश्चिमी एवं मध्य उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में गरज-चमक के साथ हल्की वर्षा होने की संभावना है। शेष अन्य अंचलों में मौसम सामान्यतः शुष्क बने रहने की संभावना है। सापेक्षिक आद्र्रता पहले 05 दिनों में अधिकतम 45 से 65 प्रतिशत के बीच एवं न्यूनतम 20 से 30 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है। अंतिम दो दिनों में 22 एवं 23 मई को बुंदेलखण्ड पश्चिमी एवं मध्य उत्तर प्रदेश के जनपदों में अधिकतम आद्र्रता 60 से 80 प्रतिशत एवं न्यूनतम 30 से 50 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है।