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गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क को प्रभावित करता है जीका वायरस, जानें लक्षण और बचाव के तरीके

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कानपुरः वैश्विक महामारी कोरोना से पूरी दुनिया करीब डेढ़ साल से जूझ रही है और अब जीका वायरस का संक्रमण लोगों को परेशान कर रहा है। यह संक्रमण भारत में पहली बार केरल में देखा गया और अब तो कानपुर नगर में लगातार यह वायरस लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। जिससे लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियां पैदा हो रही है। इसको लेकर वरिष्ठ फिजीशियन डा. कीर्तिवर्धन सिंह बताते हैं कि यह संक्रमण सिर्फ गर्भवती महिलाओं को अधिक प्रभावित कर सकता है बाकी अन्य लोगों को डरने की जरुरत नहीं है। क्योंकि गर्भ धारण के दौरान गर्भवती महिलाओं की इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और वायरस का प्रसार इतना तीव्र होता है कि उसके पेट में पल रहे बच्चे की तंत्रिका तंत्र को कमजोर करने लगता है। यही नहीं गर्भस्थ बच्चे का विकास भी प्रभावित करता है और बच्चा आकार में छोटा हो सकता है। ऐसे में सिर्फ गर्भवती महिलाओं को मच्छरों से विशेष सावधान रहने की जरुरत है।

जीका वायरस की अब तक कोई वैक्सीन नहीं
डा. कीर्तिवर्धन सिंह ने बताया कि जीका वायरस एक वायरल संक्रमण है, जो एडीज एजिप्टी नाम के मच्छर की इंफेक्टेड प्रजाति से फैलता है। ये एडीज मच्छर डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारी भी फैलाते हैं। जब मच्छर जीका वायरस संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो उससे यह संक्रमण दूसरे लोगों में भी फैलता है। यह कोई बीमारी नहीं है, यह एक प्रकार का वायरस है। यह छूने या हवा में नहीं फैलती है। यह कानपुर कैसे आया इसका सोर्स बताना तो मुश्किल है, लेकिन इसका वाहक कोई व्यक्ति भी हो सकता है। किसी अन्य जीव से भी कानपुर आ सकता। आमतौर पर यह मच्छरों के काटने से फैलता है और अब तक इसकी वैक्सीन नहीं बन सकी है। यह ट्रॉपिकल और सब ट्रॉपिकल क्षेत्रों में अधिक फैलता है।

जीका वायरस के लक्षण
जीका वायरस के संक्रमण में ज्यादातर कोई लक्षण तो नहीं दिखते, बस थोड़े बहुत लक्षण दिखते हैं। जिनमें हल्का फुल्का बुखार होना, मसल पेन है। बहुत ही कम मामलों में ऐसा होता है कि जीका वायरस मानसिक परेशानी या नर्वस सिस्टम में हानि का कारण होता है। आगे कहा कि यह इतना घातक नहीं होता, जितना हम इसे समझ रहे हैं। हो सकता है कि यह जीका कोई नए प्रकार का म्युटेंट या उसी का कोई वैरिएंट हो। लेकिन बिना जीनोमिक डाटा के इस समय यह कहना ठीक नहीं है। वायरस के कई रूप हो सकते हैं, जैसे कोविड के समय डेल्टा वैरिएंट आया था।

गर्भस्थ शिशु के लिए सबसे अधिक खतरा
जीका वायरस सबके लिए खतरनाक नहीं है, लेकिन गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी बरतने की जरूरत है। उनके लिए यह वायरस गंभीर साबित हो सकता है क्योंकि संक्रमित प्रेग्नेंट महिला के पेट में पल रहे शिशु का तंत्रिका तंत्र कमजोर हो जाता है। जीका से प्रभावित शिशु का जन्म आकार में छोटा और अविकसित दिमाग के साथ हो सकता है। वहीं इससे होने वाले ग्यूलियन-बैरे सिंड्रोम शरीर के तंत्रिका तंत्र पर हमला कर सकता हैं। जिसकी वजह से कई अन्य शारीरिक समस्याएं भी हो सकती हैं। यदि बच्चा इस वायरस से संक्रमित है, तो वह जन्म के समय दुर्लभ जन्म दोष के साथ पैदा होता है। जिसमें उसका सिर, उसके शरीर के मुकाबले काफी छोटा होता है। यही नहीं बच्चे का मस्तिष्क भी विकसित नहीं होता और उसको सुनने की समस्या भी हो सकती है।

गर्भावस्था में इस तरह जीका वायरस का होता है ट्रांसमिशन
ट्रांसमिशन कई प्रकार का होता है। कन्जेनिटल ट्रांसमिशन के तहत यदि महिला गर्भवती है और जीका वायरस से संक्रमित हैं, तो वह इंफेक्शन अपने आप से बच्चे के अंदर जन्म से पहले ही ट्रांसमिट हो जायेगा। पेरी नेटल ट्रांसमिशन तब होता है जब आप की डिलीवरी होने के बाद या डिलीवरी के समय आप से यह वायरस बच्चे में ट्रांसमिट हो जाये। यह डिलीवरी के दो दिन बाद भी हो सकता है और डिलीवरी के समय भी। जब बच्चे में इस प्रकार से वायरस ट्रांसमिट होता है, तो उसे बुखार, रैश आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। पोस्ट नेटल ट्रांसमिशन में शिशु को मच्छर के काटने के कारण भी यह वायरस हो सकता है। ज्यादातर बच्चे जिनको यह संक्रमण होता है, उनमें अधिक लक्षण नहीं दिखते।

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इस तरह करें बचाव
यह मच्छरों से फैलता है। अपने घर, दफ्तर या कहीं भी पानी इकट्ठा न होने दें। मच्छरों से बचने के लिए घर में साफ-सफाई रखें। माॅस्क्टिो रिपेलेंट का प्रयोग करें। संक्रमित मच्छर दिन या शाम के शुरुआती घंटों में काट सकता है। संक्रमित स्त्री-पुरुष संबंध बनाने से बचें। यह वायरस नॉर्मल वायरल फीवर की तरह ही होता है। इसमें तीन से चार हफ्ते में रिकवर हो सकते हैं। सबसे बड़ी बात जब कोई व्यक्ति पॉजिटिव आता है, तो उसे घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। 2015 -2016 में ब्राजील की स्टडी के मुताबिक, जिसको डेंगू हो चुका है, उसको जीका नहीं हो सकता। जो मरीज डेंगू से उबर चुके हैं और उनके शरीर में डेंगू की एंटी बॉडी मौजूद है, उनको जीका वायरस से कोई खतरा नहीं हो सकता।

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