लखनऊः उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिले प्रचंड जनादेश के बाद योगी सरकार के शपथ ग्रहण की जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं। भाजपा इसको उत्सव के रूप में मनाएगी। प्रदेशभर से पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं को आमंत्रित किया जा रहा है। राजधानी के अटल बिहारी वाजपेयी इकाना स्टेडियम में 25 मार्च को शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा। उससे पहले केंद्रीय पर्यवेक्षक एवं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, सह पर्यवेक्षक रघुवरदास की मौजूदगी में 24 मार्च को लोकभवन में भाजपा विधायक दल की बैठक होगी। शासन के स्तर पर शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी हो रही है। करीब 60 से 70 हजार लोगों के लिए व्यवस्था की जा रही है। वहीं, भाजपा का प्रदेश नेतृत्व एक लाख लोगों के आने का अनुमान लगा रहा है। भाजपा सांगठनिक स्तर पर अपनी तैयारी अलग से कर रही है। भाजपा इसे यादगार बनाना चाह रही है। समारोह में लोगों को आमंत्रित करने के लिए विशेष लोगों को लगाया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत अन्य केंद्रीय नेताओं, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही समारोह में वे लोग ही शामिल होंगे जिनके पास आमंत्रण पत्र, गेट पास होगा। सभी विधायकों को अपने कुछ कार्यकर्ता और परिजनों को साथ लाने को कहा गया है। वहीं प्रत्येक क्षेत्र से दो से चार कार्यकर्ताओं को भी बुलाया जा रहा है। चुनाव के दौरान भाजपा ने जिस प्रकार से विभिन्न वर्गों तक अपनी पहुंच बनाई थी, उसी प्रकार शपथ ग्रहण समारोह में भी हर समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने में जुटी है। चिकित्सक, इंजीनियर, अधिवक्ता, शिक्षक, व्यापारी जैसे तमाम लोगों को चिह्नित कर बुलावा भेजा जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी संगठन की सभी जिला इकाइयों को दी गयी है। संगठन स्तर पर तैयारी को लेकर बैठक भी की गयी है।
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भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जनता ने पार्टी को प्रचंड जनादेश दिया है। इसमें भाजपा कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है, इसलिए सभी शक्ति केंद्रों से भी कार्यकर्ताओं को समारोह में आमंत्रित किया जाएगा। शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए आने वाले सभी कार्यकर्ता अपने वाहनों में भाजपा का झंडा लगाकर आएंगे। एक तरफ शासन और भाजपा संगठन शपथ ग्रहण समारोह को यादगार बनाने में जुटे हैं, वहीं दूसरी तरफ मंत्री बनने की कतार में खड़े विधायकों की धड़कनें तेज हो रही हैं। पुराने मंत्रियों के सामने असमंजस की स्थिति है। वह दुविधा में हैं कि अपनी सिफारिश करें या फिर न करें। सिफारिश नहीं करने की स्थिति में उनका नाम कटने का डर भी बना हुआ है। हालांकि संगठन के स्तर पर करीब-करीब सबके नाम तय कर लिए गये हैं जिन्हें योगी मंत्रिपरिषद में शामिल होना है।
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