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गौ पालन से लिखें समृद्धि की इबारत

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आईपीके, लखनऊः सदियों से गाय को माता के रूप में पूजा जाता रहा है। भारत में अनेक धार्मिक अवसरों पर इसकी पूजा भी की जाती है। गाय हजारों परिवारों के लिए आय का स्रोत भी बनी हुई है। आज तमाम ऐसे परिवार हैं जो गाय पालकर दूध का व्यवसाय कर रहे हैं। कुछ नाम ऐसे भी हैं, जो सरकारी नौकरी छोड़कर डेयरी चलाकर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं। वर्तमान में यूपी सरकार भी ऐसे लोगों का उत्साह बढ़ा रही है, जो गौ पालन में रुचि रखते हैं। इसके लिए सरकार तमाम योजनाओं के माध्यम से मदद भी कर रही है। ऐसे में आप भी यदि आमदनी बढ़ाने के लिए व्यवसाय शुरू करने की सोच रहे हैं, तो गौ पालन एक बेहतरीन विकल्प है।

भारत को कृषि प्रधान देश की संज्ञा दी जाती है, क्योंकि यहां पर हर प्रकार की फसलें उपजाई जाती हैं। अपने देश में उगाई जाने वाली फसलें न सिर्फ स्वास्थ्यवर्धक होती हैं, बल्कि लोगों को सहजता से उपलब्ध भी हो जाती हैं। कृषि क्षेत्र की समृद्धि में गौ माता का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, क्योंकि इनके गोबर से बनने वाला खाद मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के साथ-साथ फसलों की गुणवत्ता को भी कई गुना बढ़ा देता है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में खेती के साथ गौ पालन अनिवार्य अंग बन गया है। अब किसान सिर्फ खाद ही नही अपितु व्यापक पैमाने पर गौ पालन कर समृद्धि की नई इबारत भी लिख रहे हैं।

अच्छी नस्ल दे रही अच्छा मुनाफा

पशुपालकों की मानें तो वर्तमान समय में खास नस्ल की गाय तो फायदेमंद है, लेकिन देसी गाय घाटे का सौदा है। इजरायल में 9,000 लीटर, अमेरिका में 7,000 लीटर, हॉलैंड एवं जर्मनी में 6,000 लीटर, जापान में 3,000 लीटर दूध एक गाय देती है, जबकि भारत की गायों के औसत दूध का उत्पादन क्षेत्रवार होता है। देश के पंजाब, गुजरात, की गायें अधिक दुधारू हैं और ये प्रदेश भी विकसित हैं। ऐसे में यदि आप गौ पालन करने की सोच रहे हैं तो अच्छी नस्ल की गायों को अधिक प्राथमिकता देनी होगी।

अच्छे नस्ल की गाय देती है खूब दूध

गौ पालन ही एक ऐसा व्यवसाय है, जिसमें उत्पादन बढ़ाने की अपार संभावना है। एक संकर गाय औसत देखभाल में एक ब्यात में 1500 से 1800 लीटर दूध देती हैं। गाय बढ़ाने के लिए गौ पालन सर्वोत्तम साधन है। अच्छे नस्ल की एक गाय खिलाई पर 20े लीटर तक दूध देती है।

गौ पालन में सावधानियां

एक गाय सामान्यतः अपनी जिन्दगी में 8 से 10 ब्यात दूध देती हैं। आने वाले 10 वर्षों तक उस गाय से अधिक दूध प्राप्त होता रहेगा। इसलिए इनकी नस्ल अच्छी होनी चाहिए। अन्यथा आपकी इस लापरवाही से बढ़े हुए दूध से तो आप वंचित रहेंगे ही, आने वाली गौ पीढ़ी भी कम दूध उत्पादन वाली होगी। गाय के बच्चा देने से 60 से 90 दिन में वह पुनः गर्भित हो जानी चाहिए। इससे गाय से अधिक दूध एवं आधिक बच्चे मिलते हैं। गाय के फलने के 60 से 90 दिन बाद किसी जानकार पशु चिकित्सा से गर्भ परीक्षण करवा लेना चाहिए। इससे वर्ष भर का दूध उत्पादन कार्यक्रम तय करने में सुविधा होती है। गर्भावस्था के अंतिम दो माह में दूध नहीं दुहना चाहिए। गाय को विशेष आहार देना चाहिए। इससे अगले ब्यात में गाय पूर्ण क्षमता से दूध देती है।

आहार पर रखें ध्यान

दूध उत्पादन बढ़ाने तथा उसकी उत्पादन लागत कम करने के लिए गाय को संतुलित आहार देना चाहिए। इसमें गाय की आवश्यकता के अनुसार समस्त पोषक तत्व होते हैं। अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए पशु को पेट भर हरा चारा खिलाएं। इससे दाने का खर्च भी घटेगा तथा गाय का नियमित प्रजनन भी होगा। गाय को आवश्यक खनिज, लवण और आवश्यक चारा, दाना, पानी नियत समय के अनुसार देना चाहिए।

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रोग और निवास की करें निगरानी

गाय को संक्रामक रोगों से बचने के लिए नियमित टीके, लगवाएं। आपकी गाय यदि चारा कम खा रही है या उसने कम दूध दिया तो उस पर ध्यान दें। संकर गाय देशी गाय की आदतों के विपरीत बीमारी में भी चारा खाती तथा जुगाली भी करती है। पशु कोठा साफ और हवादार होना चाहिए। उसमें कीचड़, गंदगी न हो। पशु के बैठने का स्थान समतल होना चाहिए। गर्मी और सर्दी के साथ बारिश में मच्छरों से इनको बचाते रहें।