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होलिका की पूजा से सभी प्रकार के भय पर मिलती है विजय

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नई दिल्लीः होलिका दहन रविवार 28 मार्च को है और इसके अगले दिन सोमवार को होली खेली जाएगी। होली का पर्व हिंदू धर्म का बेहद पवित्र त्यौहार है। होलिका दहन से पहले होलिका की पूजा की जाती है और सुख-समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य की कामना भी की जाती है। इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त शाम 6. 15 से शाम 7.40 बजे तक है। रात्रि 2 बजकर 38 मिनट तक पूर्णिमा तिथि है। ऐसा माना जाता है कि होलिका की पूजा करने से सभी प्रकार के भय पर विजय प्राप्त होती है। इसके साथ ही सभी प्रकार की बुराइयां भी समाप्त हो जाती हैं। होलिका दहन की प्रथा के पीछे भी एक कथा है।

राजा हिरण्यकश्यप और उनकी रानी कयाधु के पुत्र थे प्रहलाद। प्रहलाद भगवान विष्णु के अनन्य भक्त थे। इसके विपरीत उनके पिता हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु को अपना शुत्र मानते थे। वह नहीं चाहते थे कि उनका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु की पूजा आराधना करे। लाख प्रयासों के बाजवूद भी जब प्रहलाद ने भगवान विष्णु की भक्ति नही छोड़ी तब उनके पिता ने प्रहलाद के मोह को छोड़ने की ठान ली और अपनी बहन होलिका के साथ मिलकर अपने पुत्र प्रहलाद की जीवनलीला समाप्त करने की योजना बनायी।

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होलिका को वरदान स्वरूप एक चुनरी मिली थी जिसे ओढ़ने से उसे अग्नि नही जला सकती थी। होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गयी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा स्वरूप वह चुनरी बालक प्रहलाद के शरीर पर गिर गयी। जिससे होलिका जलकर भस्म हो गयी और बालक प्रहलाद सकुशल अग्नि से बाहर निकल गये। तब से इस त्यौहार को होलिका दहन के नाम से जाना जाता है।