World Cancer Day 2024: कैंसर का नाम सुनते ही घबराहट होने लगती है। पीड़ित बीमारी से अधिक तो कैंसर के नाम से डर जाता है। जिस व्यक्ति को कैंसर होता है वह तो गंभीर यातना से गुजरता ही है उसके साथ ही उसका परिवार को भी बहुत कष्टमय स्थिति में गुजरना पड़ता है। जानलेवा होने के साथ ही कैंसर की बीमारी में मरीज को बहुत अधिक शारीरिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। कैंसर की बीमारी इतनी भयावह होती है, जिसमें मरीज की मौत सुनिश्चित मानी जाती है। बीमारी की पीड़ा व मौत के डर से मैरिज घुट-घुट कर मरता है।
World Cancer Day 2024: जागरुकता बढ़ाने पर जोर
कैंसर के बारे में जागरुकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए 04 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस (World Cancer Day 2024) मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस के परिप्रेक्ष्य 04 फरवरी 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में हुआ था। विश्व कैंसर दिवस का प्राथमिक लक्ष्य कैंसर और बीमारी के कारण होने वाली मौतों को कम करना है। 1933 में अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड में जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया था।
यह दिवस कैंसर (World Cancer Day 2024) के बारे में जागरुकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने, इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दुनिया भर में सरकारों और व्यक्तियों को समझाने तथा हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए मनाया जाता है। 2014 में इसे विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्य 5 पर केंद्रित किया गया है, जो कैंसर के कलंक को कम और मिथकों को दूर करने से संबंधित है।
हर साल एक करोड़ से ज्यादा लोगों की कैंसर से मौत
दुनिया भर में हर साल एक करोड़ से अधिक लोग कैंसर की बीमारी से दम तोड़ते हैं, जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले (30-69 वर्ष आयु वर्ग) मर जाते हैं। इसलिए समय की मांग है कि इस बीमारी के बारे में जागरुकता बढ़ाने के साथ कैंसर से निपटने की व्यावहारिक रणनीति विकसित करनी चाहिए। 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों के बढ़कर प्रति वर्ष एक करोड़ से अधिक होने का अनुमान है। यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25 प्रतिशत कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए तो हर साल 15 लाख लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।
दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज भारत में
अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में सबसे ज्यादा कैंसर मरीज भारत में है। 2020 में 1.93 करोड़ नए कैंसर मरीज सामने आए थे, जिनमें 14 लाख से अधिक भारतीय थे। इतना ही नहीं भारत में सालाना बढ़ते कैंसर मामलों के चलते 2040 तक इनकी संख्या में 57.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी होने की आशंका है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम के अनुसार देश में कैंसर के मामलों की संख्या 2022 में 14.6 लाख से बढ़कर 2025 में 15.7 लाख होने का अनुमान है, जिसके लिए सरकार को चिकित्सा व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने की जरूरत है। तभी समय पर कैंसर मरीजों की जांच से पहचान कर सही उपचार कर देकर उनकी जान बचाई जा सकती है।
नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि देश के अधिकांश क्षेत्रों में कैंसर की सही निगरानी नहीं हो पा रही है, जिस कारण अधिकांश मामलों में बीमारी का देरी से पता चल रहा है। देश के सभी शोध केंद्रों को पत्र लिख आईसीएमआर ने कैंसर की जांच और निगरानी को आसान बनाने के लिए प्रस्ताव मांगे हैं। देश के सभी जिलों में कैंसर निगरानी और जांच को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य अनुसंधान के तहत नई नीति बनाने के लिए आईसीएमआर को जिम्मेदारी सौंपी है। इसके लिए अलग-अलग शोध टीमें गठित होंगी और भौगोलिक व स्वास्थ्य सेवाओं की मौजूदा स्थिति के आधार पर वैज्ञानिक तथ्य एकत्रित किए जाएंगे।
world cancer day, ये हैं आंकड़ें
आंकड़े बताते हैं कि भारत में कैंसर से साल 2020 में 7,70,230, 2021 में 7,89,202 और 2022 में 8,08,558 लोगों की मौत हुई है। देश में कैंसर के मामलों की कुल संख्या 2022 में 14,61,427 रही। वहीं 2021 में यह 14,26,447, जबकि 2020 में 13,92,179 थी। सबसे ज्यादा कैंसर के मरीज उत्तर प्रदेश में हैं। यहां 2020 में 2,01,319, 2021 में 2,06,088 और 2022 में 2,10,958 मरीज मिले। वहीं सबसे कम कैंसर मरीज केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप में हैं। यहां 2020 में 27, 2021 और 2022 में 28-28 मरीज मिले हैं।
कैंसर रोगों का एक समूह है जो असामान्य कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि और प्रसार से होता है। ये कोशिकाएं ट्यूमर नामक द्रव्यमान का निर्माण कर सकती हैं। जो शरीर के सामान्य कामकाज में हस्तक्षेप कर सकती हैं, जबकि कैंसर किसी को भी प्रभावित कर सकता है। यह पहचानना आवश्यक है कि कुछ जीवनशैली विकल्प, जैसे धूम्रपान, खराब आहार और शारीरिक गतिविधि की कमी, कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
मैं जीवीत हूं… मौत की खबरों के बीच Poonam Pandey का वीडियो आया सामने
सबसे खतरनाक है लंग्स कैंसर
हाल ही में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक फफड़ों का कैंसर (लंग्स कैंसर) सबसे खतरनाक कैंसर हो सकता है। हमारे देश में भी लंग्स कैंसर के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। डॉक्टरों का अनुमान था कि 2023 के आखिर तक करीब 2.38 लाख से ज्यादा लोगों में लंग्स कैंसर मिल सकता है। विश्व कैंसर दिवस 2024 की थीम है केयर गैप को बंद करें। यह कैंसर देखभाल में वैश्विक असमानताओं को रेखांकित करती है। यह कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सभी के लिए समान स्वास्थ्य देखभाल के महत्व पर जोर देते हुए, गुणवत्तापूर्ण उपचार तक पहुंच में अंतर को पाटने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करता है।
कैंसर का पता लगाने, कैंसर के प्रकार और कारण, डायग्नोस और उपचार में काफी प्रगति हुई है, लेकिन अफसोस की बात है कि दुनिया की ज्यादातर आबादी के पास अभी भी बुनियादी स्वास्थ्य सेवायें नहीं पहुंच पाई हैं, जिसमें गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं की देखभाल, रेगुलर टीकाकरण, यौन और प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं और पुरानी बीमारी का इलाज शामिल है। कैंसर की रोकथाम के बारे में जागरुकता फैलाकर, हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स को ट्रेनिंग देकर, इफेक्टिव कम्युनिटी बेस्ड प्लान को लागू करके, हम इस बीमारी से बचाव कर सकते हैं।
मिलकर काम करने का अवसर
विश्व कैंसर दिवस ( world cancer day ) दुनिया पर कैंसर के प्रभाव को कम करने के लिए सभी के लिए मिलकर काम करने का एक अवसर है। जागरुकता बढ़ाकर, शिक्षा को बढ़ावा देकर, दूसरों को नैतिक रूप से कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करके और कैंसर के खिलाफ लड़ाई में समर्थन देकर ऐसे लोगों का जीवन बचाना है जिसे रोका और ठीक किया जा सकता है। एकजुट होकर और काम करके हम इस बीमारी से हमारे स्वास्थ्य, हमारी अर्थव्यवस्था और एक समाज के रूप में हमारी आत्माओं पर पड़ने वाले असर को कम कर सकते हैं।
कैंसर दुनियाभर में मौत का प्रमुख कारण बना हुआ है। विश्व स्वस्थ्य संगठन (WHO-World Health Organization) की रिपोर्ट के अनुसार 2020 में लगभग एक करोड़ लोगों की मौत कैंसर से हुई थी, जिसमें ब्रेस्ट और लंग कैंसर के सबसे अधिक मामले सामने आए थे। डब्लूएचओ के अनुसार दुनिया भर में कैंसर के प्रति जागरुकता बढ़ाने से कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या को 30-50 प्रतिशत तक कम करने में मदद मिल सकती है। कैंसर की चुनौती से निपटने का सबसे अच्छा तरीका इस मुद्दे के बारे में लोगों से बातचीत शुरू कर के जागरुकता बढ़ाई जाए, तभी कैंसर जैसी जावलेवा बीमारी से लोगों की जीवन रक्षा की जा सकेगी।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)