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बोकारो में मशरूम की खेती से आत्मनिर्भर बन रहीं महिलायें

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mashroom बोकारो: जिले में बटन मशरूम की खेती से महिलाओं को तरक्की की राह दिखा रही है। महिलाएं पूरे वर्ष मशरूम का उत्पादन कर रही हैं। इससे वे अच्छा मुनाफा कमाकर आत्मनिर्भर भी हो रही हैं। साथ ही क्षेत्र की कई महिलाएं मशरूम की खेती के लिए कम्पोस्ट तैयार कर उत्पादकों को भी इसकी बिक्री कर रही हैं। जिले के बेरमो एवं चंदनकियारी प्रखंड में पैदा होने वाले मशरूम एक अलग पहचान दे रहे हैं। जिला प्रशासन के पहल पर जिले में मशरूम की खेती को बढ़ावा मिला। इससे यहां विभिन्न स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने मशरूम की खेती को आजीविका के रूप में उत्पादन कार्य सीखने का मन बनाया। वर्ष 2022 में जिला ग्रामीण विकास विभाग एवं झारखंड स्टेट लाइवलीहूड प्रमोशन सोसाइटी ने चिन्हित एसएचजी दीदीयों को एक्सपोजर भ्रमण के दौरान बिहार के गया जिला स्थित बुद्धा मशरूम प्लांट ईथारी का भ्रमण कराया। साथ ही आरसेटी संस्था द्वारा जिले में भी मशरूम उत्पादन की बारीकियों से महिला समूह की दीदीयों को अवगत कराया। ये भी पढ़ें..धान खरीद में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी, 23 लाख किसानों ने बेचा धान पूरे प्रशिक्षण सत्र में बेरमो एवं चंदनकियारी प्रखंड की महिला समूह की दीदीयों ने मशरूम उत्पादन से जुड़ी बातों को जाना और उसके बाद जिला प्रशासन के सहयोग से पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुल 312 दीदीयों को मशरूम उत्पादन के लिए 13,075 बैग बुद्धा मशरूम प्लांट ईथारी द्वारा उपलब्ध कराया गया। दीदीयों ने छोटे-छोटे समूह में मशरूम की खेती शुरू की। इसके बाद मशरूम उत्पादन का कार्य बेरमो एवं चंदनकियारी प्रखंडों के विभिन्न गांव में शुरू हुआ। समूह ने 30,72,625 का शुद्ध लाभ किया अर्जित - वर्तमान में जिले के 88 स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 312 दीदी मशरूम की खेती कर रही हैं। पहली बार में ही दीदी समूहों ने 32687.5 किलो मशरूम उत्पादन किया। इसके लिए कुल 18 लाख 30 हजार 500 रुपये का निवेश दीदीयों द्वारा किया गया। दीदीयों ने मशरूम का बिक्री करके 49 लाख 03 हजार 125 रुपये प्राप्त किया। ऐसे में मशरूम उत्पादन कर रही दीदीयों ने कुल 30 लाख 72 हजार 625 रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)