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फिल्म सिटी बनने से कलाकारों के सपनों को लगेंगे पंख, खुलेंगे संभावनाओं के नए द्वार

Uttar Pradesh chief minister Yogi Adityanath holds meeting with dignitaries regarding set up a new film city

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में देश की सबसे खूबसूरत फिल्म सिटी बनाने की घोषणा के बाद यहां के कलाकारों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खुलेंगे। फिल्मों में करियर बनाने के लिए मायानगरी जाकर कठिन संघर्ष करने वाले कलाकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इस घोषणा से काफी खुश तो हैं, लेकिन इस बात से सशंकित भी हैं कि कहीं यह सिर्फ घोषणा बनकर ही न रह जाए।

देश के सबसे बड़े राज्य यूपी ने कला और अभिनय के क्षेत्र में बहुत बड़ा योगदान दिया है। प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से निकले गीतकार, लेखक व अभिनेताओं ने बॉलीवुड में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, लेकिन अपार संभावनाओं से भरे इस राज्य में कला क्षेत्र को लेकर कभी विशेष रूचि नही दिखाई गई। कभी-कभार प्रदेश की सरकारों ने कुछ एक घोषणाएं तो कीं लेकिन वह सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की संदेहास्पद मौत के बाद बॉलीवुड में नेपोटिज्म आदि को लेकर बहस छिड़ी हुई है। इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में फिल्म सिटी बनाने की घोषणा ने कलाकारों को गदगद कर दिया है। सीएम ने घोषणा करने के साथ फिल्म जगत के तमाम बड़े कलाकारों राजपाल यादव, रजा मुराद, मनोज तिवारी, रवि किशन, मालिनी अवस्थी, मधुर भंडारकर, उदित नारायण, कैलाश खेर से मिलकर फिल्म सिटी को लेकर उनसे सुझाव भी लिए। पिछले दिनों फिल्म निर्माता-निर्देशक मधुर भंडारकर ने मुख्यमंत्री से भेंट कर फिल्म सिटी के निर्माण को लंबी चर्चा की। तीन बार राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक मधुर भंडारकर ने हाल ही में अपनी उपलब्धियों में एक नया अध्याय जोड़ा। अद्वितीय कार्यों के माध्यम से फिल्म निर्माण संस्कृति को बनाने और उसे आकार देने के लिए मधुर को पीएल देशपांडे पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसे जेनिथ एशिया पुरस्कार के नाम से भी जाना जाता है। फिल्म उद्योग से जुड़े लोग इसे उत्तर भारत के लिए बड़ी सौगात मान रहे हैं।

दो सौ एकड़ भूमि में फैलाने पर विमर्श

ऐसे में यमुना एक्सप्रेस-वे, ग्रेटर नोएडा व नोएडा के इर्द-गिर्द फिल्म सिटी बनने से निर्माता-निर्देशकों को उनकी पसंदीदा जगहों के लिए सीधा एप्रोच होने की वजह से उन्हें सुविधा रहेगी। सूत्रों का कहना है कि दिल्ली से जुड़े नोएडा, ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे पर प्रस्तावित बड़ी फिल्म सिटी के अलावा लखनऊ, वाराणसी व आगरा में से किसी जगह एक अन्य छोटे आकार की फिल्म सिटी की स्थापना भी की जा सकती है। यह फिल्म सिटी 200-250 एकड़ में बनाने की योजना है। आगरा में पहले भी एक फिल्म सिटी का निर्माण प्रस्तावित था। इसके लिए यूपीसीडा ने जमीन भी चिह्नित कर ली थी। इसका भी परीक्षण कराया जा रहा है। वाराणसी में पर्यटन विभाग की खाली पड़ी जमीन पर फिल्म सिटी बनाने के संबंध में अध्ययन कराया जा रहा है। लखनऊ के आस-पास भी स्थान देखा जा रहा है।

जेवर एयरपोर्ट भी बनेगा मददगार

फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि दिल्ली से नजदीक होने के कारण नोएडा, ग्रेटर नोएडा या यमुना एक्सप्रेस-वे पर फिल्म सिटी का निर्माण तो फायदेमंद रहेगा ही, जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट भी इसमें खासा मददगार साबित होगा। नई फिल्म नीति के तहत प्रदेश में फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से कई सहूलियतें दी जा रही हैं। प्रदेश में बनने वाली हिंदी या अन्य भारतीय भाषाओं की फिल्मों को लागत का 25 प्रतिशत या अधिकतम दो करोड़ रुपये अनुदान दिया जाता है।

क्षेत्रीय भाषाओं को मिलेगी बड़ी मदद

क्षेत्रीय भाषाओं में बनने वाली फिल्मों के लिए 50 प्रतिशत अनुदान का प्राविधान है। फिल्म में अगर प्रदेश के 5 कलाकार हैं तो 25 लाख रुपये अतिरिक्त व सभी कलाकार प्रदेश के हैं तो 50 लाख रुपये अतिरिक्त देने का प्रावधान है। पर्यटन विभाग के होटलों व अन्य संपत्तियों में 25 प्रतिशत छूट की व्यवस्था है।

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हर साल 150 से 200 करोड़ खर्च

प्रदेश में फिल्म निर्माण पर हर साल 150 से 200 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। फिल्म बंधु के सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में डेढ़ करोड़ से लेकर 40-50 करोड़ रुपये तक के बजट की फिल्मों का निर्माण हो रहा है। योगी सरकार में 2017 से लेकर अब तक 38 फिल्मों को लगभग 21 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।