WPI Inflation, नई दिल्लीः अप्रैल के लिए थोक महंगाई दर के आंकड़े आज यानी 14 मई को जारी किए गए। थोक मूल्य सूचकांक (wholesale price index, WPI) पर आधारित महंगाई दर अप्रैल में 13 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। अप्रैल में थोक महंगाई दर बढ़कर 1.26 फीसदी हो गई। WPI आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल 2023 में 0.79 प्रतिशत और मार्च 2024 में 0.53 प्रतिशत थी। जो एक फीसदी के पार कर 1.26 फीसदी पर पहुंच गई है।
WPI Inflation: इन चीजों में हुई वृद्धि
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि 'अप्रैल 2024 में मुद्रास्फीति में वृद्धि के कारण खाद्य पदार्थों, बिजली, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, खाद्य उत्पादों के विनिर्माण, अन्य विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि हो रही है। दरअसल मार्च 2024 की तुलना में अप्रैल 2024 में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में 3.56 फीसदी और खाद्य उत्पादों की कीमतों में 2.67 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
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हालांकि इसी अवधि के दौरान गैर-खाद्य उत्पादों की कीमतों में 1.19 प्रतिशत और खनिजों की कीमतों में 1.55 प्रतिशत की गिरावट आई। WPI खाद्य सूचकांक (जिसका थोक मुद्रास्फीति दर में कुल भार 24.38 प्रतिशत है) में वृद्धि देखी गई है। अप्रैल में फूड इंडेक्स 5.52 फीसदी रहा, जो मार्च में 4.65 फीसदी था। विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर में 0.50 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह अप्रैल में 140.8 पर पहुंच गई है, जो इससे पहले मार्च में 140.1 पर थी। थोक महंगाई दर में इसकी हिस्सेदारी करीब 64.23 फीसदी है।
थोक महंगाई का किस पर पड़ेगा असर
थोक महंगाई दर अधिक होने से उत्पादों के निर्माण की लागत बढ़ जाती है और इसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है. थोक महंगाई का सबसे ज्यादा असर मेटल, केमिकल, प्लास्टिक और रबर जैसे उत्पादों पर पड़ता है, क्योंकि इनके जरिए मैन्युफैक्चरिंग होती है और लागत बढ़ने से खुदरा कीमतें भी बढ़ जाती हैं, जिससे खुदरा महंगाई का बोझ आम आदमी पर पड़ता है।