फीचर्ड संपादकीय

जल संरक्षण : कब जागेगा समाज

1614809545396_114-min

विश्व में जल भगवान का दिया हुआ एक ऐसा उपहार है, जिसके बिना जीवन की कल्पना करना संभव नहीं है। वर्तमान में जल का जिस प्रकार से उपयोग किया जा रहा है, उससे ऐसा लगने लगा है कि भविष्य में जल का बहुत बड़ा संकट उत्पन्न होने वाला है। जल संरक्षण के लिए चलाए जा रहे सरकारी प्रयास नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं। गांव और शहरों की कई बस्तियों में पेयजल समस्या के हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। सबसे गंभीर बात तो यह है कि इन क्षेत्रों में सरकार द्वारा वित्त पोषित संस्थाएं भी ध्यान नहीं दे रही हैं। क्योंकि अभी तक देखने में आया है कि जितनी आर्थिक सहायता जल के संरक्षण के लिए सरकार द्वारा प्रदान की गई है, उसके अनुसार काम नहीं दिखाई दिया। इसलिए सवाल यह भी आता है कि जल संचयन के लिए काम करने वाली संस्थाएं की कार्यप्रणाली को किस हद तक सही माना जा सकता है। वास्तव में होना यह चाहिए कि जिस संस्था के माध्यम से इस प्रकार का काम किया जा रहा है, उसमें उस क्षेत्र के नागरिकों का भी समावेश होना चाहिए। इससे यह होगा कि इन संस्थाओं की मनमानी पर लगाम लगेगी और जल संचयन की दिशा में होने वाले काम में पारदर्शिता आएगी।

पानी की बर्बादी रोकें

आज हम जाने अनजाने में जल की बहुत बड़ी मात्रा को फालतू में बहा देते हैं। इस प्रकार की पानी की बर्बादी को हमें समय रहते रोकना ही होगा। क्योंकि हम जानते हैं कि पृथ्वी का बहुत बड़ा भाग पानी से घिरा हुआ है, लेकिन वह पानी व्यक्ति के लिए उपयोगी नहीं है। जो पानी जमीन पर उपलब्ध है, उसमें भी जागरुकता के अभाव में गुणवत्ता का अभाव पैदा होता जा रहा है। जो पानी पीने लायक बचा है, उसके लिए हम कितने जागरूक हैं। यह हमारे किए गए कार्यों से पता चल जाता है। आज मीठा पानी उपलब्ध कराने वाले हमारे कुएं सूखते जा रहे हैं। उसमें जल स्रोत लुप्त हो रहे हैं। उसके पीछे एक ही कारण है कि हमने उस पर ध्यान नहीं दिया। इन कुओं को मिटाने में हमारे द्वारा कराए गए बोरिंग भी प्रमुख कारण हैं। इन बोरिंगों के कारण कुछ व्यक्ति पानी का बेतहाशा उपयोग करने लगे हैं। इसे रोके जाने की आवश्यकता है।

वैश्विक प्रयास की आवश्यकता

पानी बचाने के लिए व्यक्तिगत प्रयास तो करने ही चाहिए, लेकिन इन व्यक्तिगत प्रयासों से कितनी सफलता मिलेगी। यह बात तर्कों के माध्यम से सही मानी जा सकती है, लेकिन इस प्रकार के व्यक्तिगत प्रयास कहीं न कहीं अपनी ऊर्जा को नष्ट करने जैसा ही है। इसके लिए व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर और वैश्विक स्तर पर प्रयास करने की आवश्यकता है। जल संरक्षण के लिए काम करने वाले संगठन अकेले न चलकर दो तीन संगठन मिलकर काम करने का प्रयास करेंगे तो सार्थक परिणाम दिखाई देंगे। अकेले काम करने वाले संगठन केवल औपचारिकता ही पूरी करते हैं। हम जानते हैं कि देश के कई हिस्सों में आज जल संचयन को लेकर इतना काम किया जा चुका है कि इतनी बड़ी राशि के सहारे एक नहीं बल्कि दो तीन गांवों की समस्या सुलझ जाती। ये ऐसी समस्या है जिसको वैश्विक स्तर पर लोगों के मिलकर प्रयास करने की जरूरत है।

जल को क्यों बचाना चाहिये

बिना ऑक्सीजन, पानी और भोजन के जीवन संभव नहीं है। लेकिन इन तीनों में सबसे जरूरी जल है। ऐसा आकलन किया गया है कि एक प्रतिशत से भी कम पानी पृथ्वी पर पीने के लायक है। अगर हम पीने के पानी और विश्व की जनसंख्या का पूरा अनुपात निकालें तो यह हर दिन पानी के एक गैलन पर एक बिलियन से भी अधिक लोग पूरी दुनिया में जी रहे हैं। ऐसा भी आकलन किया गया है कि लगभग या 3 बिलियन से भी ज्यादा लोग 2025 तक पानी की कमी से जूझेंगे। वर्तमान में जिस प्रकार से पानी का दुरुपयोग हो रहा है, उससे यही लगता है कि भविष्य में पानी के लिए बहुत बड़ी मारामारी सामने आएगी।

पानी बचाने का स्वभाव बनाएं

प्राय: देखा जा रहा है कि आज बहुत से लोगों में पानी को लेकर चेतना का प्रादुर्भाव हुआ है। जो समय के महत्व को देखते हुए बहुत अच्छा माना जा सकता है। पानी को बचाना एक अच्छी आदत है। पानी बचाने के अपने प्रयासों को दूसरे लोगों के बीच में भी ले जाना चाहिए। अच्छे काम की नकल करना कोई नकल नहीं होती, बल्कि यह तो संसार को बचाने का एक प्रयास है। जल संरक्षण करने का प्रयास आज की ऐसी आवश्यकता है जिस पर सभी काम करने को तैयार हैं, लेकिन पहल करने की जरूरत है। क्यों न वह पहल आपसे ही हो।

कितना अनमोल है पानी

भारत में पानी बेचने की परंपरा नहीं थी। लेकिन वर्तमान में जिस प्रकार पानी की कमी महसूस की जा रही है। उससे तो यही लगता है कि लोग जिस कीमत पर भी मिले पानी को खरीदने को तैयार हैं। इससे यह सिद्ध हो जाता है कि पानी कितना अनमोल है। कुछ साल पहले, कोई भी दुकान पर पानी नहीं बेचता था हालांकि अब समय बहुत बदल चुका है और अब हम देख सकते हैं कि सभी जगह शुद्ध पानी का बॉटल बिक रहा है। पहले लोग पानी को दुकानों में बिकता देख आश्चर्यचकित होते थे हालांकि अब, अपने अच्छे स्वास्थ्य के लिये 20 रुपये प्रति बॉटल या उससे अधिक देने के लिये तैयार हैं। हम साफ तौर पर महसूस कर सकते हैं कि आने वाले भविष्य में पूरी दुनिया में स्वच्छ जल की अधिक कमी होगी। पहले बिना पैसों के पानी आसानी से मिल जाता था, केवल कुछ मेहनत करने की प्रक्रिया होती थी। कुओं से आसानी से पानी मिल जाता था, लेकिन घरों में पानी लेने पर भी पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।

बूंद-बूंद से भरता है सागर

भारत के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते, पानी की कमी के सभी समस्याओं के बारे में हमें अपने आपको जागरूक रखना चाहिये। जिससे हम सभी प्रतिज्ञा लें और जल संरक्षण के लिये एक साथ आगे आएं। ये सही कहा गया है कि सभी लोगों का छोटा प्रयास एक बड़ा परिणाम दे सकता है जैसे कि बूंद-बूंद करके तालाब, नदी और सागर बन सकता है। जल संरक्षण के लिये हमें अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत नहीं है, हमें केवल अपने प्रतिदिन की गतिविधियों में कुछ सकारात्मक बदलाव करने की जरूरत है जैसे हर इस्तेमाल के बाद नल को ठीक से बंद करें, फव्वारे या पाइप के बजाय धोने या नहाने के लिये बाल्टी और मग का इस्तेमाल करें। लाखों लोगों का एक छोटा सा प्रयास जल संरक्षण अभियान की ओर एक बड़ा सकारात्मक परिणाम दे सकता है।

बरसात के पानी को बचाएं

गाँव के स्तर पर लोगों के द्वारा बरसात के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिये। उचित रखरखाव के साथ छोटे-बड़े तालाबों को बनाने के द्वारा बरसात के पानी को बचाया जा सकता है। युवा विद्यार्थियों को अधिक जागरुकता की आवश्यकता है साथ ही इस मुद्दे के समस्या और समाधान पर एकाग्र होना चाहिये। गांवों में जो तालाब सूख रहे हैं या सूखने की ओर अग्रसर हो रहे हैं। उन्हें बचाने के लिए वर्षा जल का संरक्षण करना ही मूल कर्तव्य होना चाहिए।

सुरेश हिन्दुस्थानी