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कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में तय हुआ पैनल, विक्रमादित्य को मंडी से मैदान में उतारने की तैयारी

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Lok Sabha Elections: हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों के चयन के लिए माथापच्ची कर रही है। शनिवार देर शाम दिल्ली में हुई स्क्रीनिंग एवं समन्वय समिति की बैठक में कांग्रेस ने चारों सीटों के लिए संभावित उम्मीदवारों का पैनल तय कर लिया है। अगले सप्ताह होने वाली केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में उम्मीदवारों की घोषणा की जाएगी।

हॉट सीट मंडी पर कांग्रेस ने निवर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह के साथ उनके बेटे और युवा कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह को भी पैनल में शामिल किया है। प्रतिभा सिंह के चुनाव नहीं लड़ने पर विक्रमादित्य सिंह को टिकट मिलेगा। शिमला सीट से दयाल प्यारी और अमित नंदा के साथ मौजूदा विधायक बिनोद सुल्तानपुरी को जगह दी गई है। कांगड़ा सीट से पूर्व मंत्री आशा कुमारी और पूर्व विधायक जगजीवन पॉल पैनल में हैं। हमीपुर सीट पर सिर्फ पूर्व विधायक सतपाल रायजादा का नाम शामिल है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह सहित राज्य कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बैठक में मंडी सीट पर पैनल में शामिल विक्रमादित्य सिंह भी मौजूद रहे।

कांग्रेस के सर्वे में विक्रमादित्य सिंह मजबूत उम्मीदवार

बीजेपी ने मशहूर फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। इस सीट से कांग्रेस की प्रतिभा सिंह सांसद हैं। प्रतिभा सिंह दोबारा चुनाव लड़ने की इच्छुक नहीं हैं। उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह सुक्खू सरकार में मौजूदा विधायक और कैबिनेट मंत्री हैं। कांग्रेस नेताओं के मुताबिक हाईकमान की नजर में विक्रमादित्य सिंह मंडी संसदीय क्षेत्र में कंगना रनौत के मुकाबले सबसे मजबूत उम्मीदवार हैं।

जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस की ओर से कराए गए सर्वे में विक्रमादित्य सिंह को मजबूत उम्मीदवार पाया गया है। 35 साल के विक्रमादित्य सिंह को मैदान में उतारकर कांग्रेस की नजर युवा वोटरों पर भी है। दरअसल, कंगना रनौत 37 साल की हैं और एक सेलिब्रिटी होने के नाते युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

सबकी निगाहें मंडी सीट पर

प्रदेश की मंडी हॉट सीट ऐसी है जो हर किसी की धड़कनें बढ़ा रही है। बीजेपी द्वारा फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत को उम्मीदवार बनाए जाने से जनता से लेकर राजनीतिक विश्लेषकों तक सभी की नजर इस सीट पर है। चुनावी रण में उतरकर कंगना ने इस चुनाव को दिलचस्प बना दिया है।

विक्रमादित्य सिंह को टिकट मिला तो चुनावी लड़ाई दिलचस्प होगी

अगर विक्रमादित्य सिंह कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं तो मंडी लोकसभा सीट पर चुनावी लड़ाई काफी दिलचस्प हो जाएगी और इस सीट पर सेलिब्रिटी बनाम शाही राजनीतिक परिवार के बीच चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा। कंगना रनौत बॉलीवुड में एक बड़ा नाम हैं। वह अपने कट्टर राष्ट्रवादी बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हैं। कंगना हिमाचल प्रदेश की पहली सेलिब्रिटी हैं जिन्होंने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई है। वहीं, विक्रमादित्य सिंह रामपुर बुशहर राजघराने से आते हैं। वह बुशहर रियायत के 123वें राजा हैं। जुलाई 2021 में, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर के सामने पद्मा पैलेस में विक्रमादित्य सिंह का राज्याभिषेक किया गया और उन्हें बुशहर रियासत का 123वां राजा चुना गया। बुशहर रियासत का संबंध भगवान कृष्ण के वंश से माना जाता है।

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सुक्खू सरकार में कद्दावर मंत्री हैं विक्रमादित्य सिंह

विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से दूसरी बार विधायक बने हैं। सुक्खू सरकार में उनके पास लोक निर्माण और शहरी विकास जैसे भारी-भरकम विभाग हैं। सोशल मीडिया पर विक्रमादित्य सिंह के पोस्ट काफी चर्चा में रहते हैं। वह हर पोस्ट पर जय श्री राम का उद्घोष करते हैं। हाल ही में उन्होंने अयोध्या में राम लला के प्रतिष्ठा समारोह में भी हिस्सा लिया था। प्रदेश कांग्रेस ने उन्हें मंडी संसदीय क्षेत्र का चुनाव प्रभारी बनाया है। पिछले कुछ दिनों से वह मंडी का तूफानी दौरा कर अपने बयानों के जरिए कंगना पर निशाना साध रहे हैं।

सीएम सुक्खू से मतभेद के चलते मंत्री पद से दिया था इस्तीफा

विक्रमादित्य सिंह पूर्व सीएम दिवंगत वीरभद्र सिंह के बेटे हैं। वीरभद्र परिवार का सीएम सुक्खू से छत्तीस का रिश्ता रहा है। सुक्खू सरकार में दो विभाग संभाल रहे विक्रमादित्य सिंह ने 28 फरवरी को मंत्री पद से इस्तीफा देकर सनसनी फैला दी थी। उन्होंने सुक्खू पर उन्हें नजरअंदाज करने और उनके विभागों में दखल देने का आरोप लगाया था। उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार शिमला के रिज मैदान पर उनके पिता स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की प्रतिमा स्थापित नहीं कर रही है। हालांकि, कांग्रेस के केंद्रीय पर्यवेक्षकों से बातचीत के बाद विक्रमादित्य सिंह ने कुछ ही घंटों बाद अपना इस्तीफा वापस ले लिया।

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