प्रदेश उत्तर प्रदेश फीचर्ड

UP Cabinet Meeting: उप्र राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के क्रियान्वयन का प्रस्ताव पारित

yogi
yogi
yogi

लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को यहां लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति-2022 के क्रियान्वयन का प्रस्ताव पारित हुआ है। इससे वायु प्रदूषण में एक ओर जहां कमी आएगी, वहीं किसानों की आय में वृद्धि होगी, करीब साढ़े पांच हजार करोड़ का निवेश आएगा और रोजगार का सृजन होगा।

राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि कृषि अपशिष्टों को खेतों में ही जला दिये जाने की समस्या के समाधान हेतु प्रदेश सरकार कृत संकल्प है। प्रदेश में कृषि अपशिष्ट, कृषि उपज मण्डियों का अपशिष्ट, पशुधन अपशिष्ट, चीनी मिलों का अपशिष्ट, नगरीय अपशिष्ट सहित अन्य जैविक अपशिष्ट प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। इन अपशिष्टों की समस्या के निराकरण के लिए और प्रदेश में जैव ऊर्जा उद्यमों की स्थापना की सम्भावनाओं को फलीभूत करने के लिए पूर्ववर्ती नीतियों की कमियों को दूर करते हुये वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य जैव ऊर्जा नीति 2022 सरकार लागू करने का निर्णय लिया है।

ये भी पढ़ें..अबू सलेम को तीन साल की सज़ा, फर्जी पासपोर्ट का मामला

नई नीति की अवधि पांच वर्ष होगी। इस अवधि में प्रदेश में स्थापित होने वाली जैव ऊर्जा परियोजनाओं, (कम्प्रेस्ड बायोगैस, बायोकोल, बायोइथानॉल तथा बायोडीजल) को भारत सरकार की नीति के अतिरिक्त उत्पादन पर इन्सेन्टिव दिया जायेगा। जैव ऊर्जा उद्यमों, संयंत्रों की स्थापना तथा फीडस्टॉक के संग्रहण एवं भण्डारण के लिए अधिकतम 30 वर्षों के लिए लीज पर भूमि दी जाएगी। यह भूमि एक रूपये प्रति एकड़ वार्षिक के टोकन लीज़ रेन्ट पर उपलब्ध कराई जायेगी।

इसके तहत कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन पर 75 लाख रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ तक, बॉयोकोल उत्पादन पर 75 हजार रुपये प्रति टन की दर से अधिकतम 20 करोड़ तक, बॉयो डीजल के उत्पादन पर तीन लाख प्रति किलोलीटर की दर से अधिकतम 20 करोड़ उपादान दिया जायेगा।

खेतों में पराली जलाने की समस्या का होगा समाधान -

नई नीति के क्रियान्वयन से खेतों में ही पराली जला दिये जाने की समस्या का समाधान होगा। जैविक अपशिष्ट का निस्तारण वैज्ञानिक विधि से हो सकेगा। पर्यावरण अनुकूल जैव ऊर्जा के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। बायोमैन्यूर की उपलब्धता तथा प्रयोग से खेतों की उर्वरता बढ़ेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश तथा रोजगार सृजित होगा। आयातित कच्चे तेल तथा पेट्रोलियम गैस पर निर्भरता कम होगी तथा विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक औरट्विटरपर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…