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Tulsi Vivah: रवि योग में होगा तुलसी विवाह, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और मंत्र

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नई दिल्लीः कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवोत्थानी एकादशी या हरि प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि से भगवान अपनी निंद्रा से जागते हैं। इस एकादशी के बाद से विवाह सहित मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं और चौमासा समाप्त हो जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सनातनी लोग इस व्रत पर्व को बड़े ही भक्ति भाव से करते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। देवोत्थानी एकादशी के अगले दिन द्वादशी तिथि पर तुलसी का विवाह श्री शालिग्राम के साथ किया जाता है। इस साल तुलसी विवाह 5 नवम्बर (शनिवार) को है। तुलसी वैष्णवों के लिए आराध्य पौधा है। लोग बकायदा तुलसी के गमले का गेरू से सजाकर उन्हें साड़ी लपेटते हैं, चूड़ी पहनाकर श्रृंगार करते हैं और गन्ने से मंडप बनाते हैं। यहां तक कि शालिग्राम के सिंहासन से तुलसी के सात फेरे भी करवाते हैं।

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तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त
कार्तिक शुक्ल द्वादशी तिथि 04 नवंबर दिन शुक्रवार को शाम 06.08 मिनट से प्रांरभ हो रहा है और अगले दिन 05 नवंबर शनिवार को शाम 05.06 मिनट पर इसका समापन होगा। उदयातिथि के आधार पर तुलसी विवाह 05 नवंबर को किया जाएगा। इस साल तुलसी विवाह के दिन रवि योग बन रहा है।

तुलसी विवाह पर करें इस मंत्र का जाप
तुलसी विवाह के दिन मां तुलसी और शालिग्राम की कृपा पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। तुलसी को छूते हुए इस मंत्र के जप से सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती हैं।

‘महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते’।

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