नई दिल्लीः भारत और अमेरिका की तत्कालीन डोनाल्ड ट्रंप सरकार के बीच साल 2020 में हुई आखिरी बड़ी रक्षा डील अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे पर फाइनल हो गई है। भारत और अमेरिका के बीच एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर बड़ी डील हुई है। व्हाइट हाउस ने इस डील को 'मेगा डील' करार दिया है। इसकी तैनाती से हिंद महासागर, चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। करीब 29 हजार करोड़ रुपये की इस डील से भारत को 30 लड़ाकू ड्रोन मिलेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा पर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के बाद जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9 रीपर सशस्त्र ड्रोन की खरीद पर एक मेगा डील की भी घोषणा की गई है। इनमें से 14 नौसेना को और आठ-आठ वायुसेना और थलसेना को दिए जाएंगे। एमक्यू-9 रीपर ड्रोन भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। उनकी तैनाती से हिंद महासागर और चीनी सीमा के साथ अन्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। सौदे के पहले चरण में एकमुश्त नकद भुगतान करके छह ड्रोन तुरंत खरीदे जाएंगे। मौजूदा जरूरतों को देखते हुए फिलहाल तीनों सेनाओं को दो-दो ड्रोन दिए जाएंगे। शेष 24 ड्रोन अगले तीन वर्षों में हासिल किए जाएंगे।
इस अत्याधुनिक ड्रोन को पहले केवल भारतीय नौसेना के लिए खरीदा जाना था, लेकिन बाद में इसे तीनों सेनाओं के लिए खरीदने का फैसला किया गया। फिर अमेरिकी सरकार ने 2018 में भारत को एमक्यू-9 सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को भी मंजूरी दे दी थी। यह प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की सरकार के बीच हस्ताक्षरित आखिरी बड़ा समझौता था। इस समझौते पर फरवरी, 2020 में हस्ताक्षर किए गए थे, जब तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपनी पहली यात्रा पर भारत आए थे। यह डील पिछले तीन साल से लंबित थी, लेकिन 15 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा से पहले रक्षा मंत्रालय ने अमेरिका से 30 प्रीडेटर (एमक्यू-9 रीपर) ड्रोन खरीदने की डील को मंजूरी दे दी। हालाँकि, कैबिनेट समिति से फाइनल मंजूरी मिलनी अभी बाकी है।
दरअसल, सेना, नौसेना और वायुसेना ने चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के संवेदनशील इलाकों में अपनी मौजूदगी मजबूत करने और निगरानी बढ़ाने के लिए एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की जरूरत जताई है। नौसेना खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाना चाहती है। इस ड्रोन के आने के बाद हिंद महासागर पर चीन के खिलाफ घेराबंदी और मजबूत होगी। सौदे के लिए भारतीय नौसेना प्रमुख एजेंसी है, इसलिए तटीय सुरक्षा और निगरानी के लिए 14 ड्रोन नौसेना को मिलेंगे, और वायु सेना और थल सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे।
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