टोक्यो: भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी व नोएडा के डीएम सुहास यतिराज ने टोक्यो पैरालंपिक में रजत पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। हालांकि सुहास को एसएल4 क्लास फाइनल में फ्रांस के लुकास माजूर से हार का सामना करना पड़ा। माजूर ने सुहास को 15-21, 21-17, 21-15 से हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया। इसी के साथ ही सुहास का गोल्ड जीतने का सपना भी टूट गया। लेकिन सुहास ने भारत को 18वां पदक दिलाया। इससे पहले पुरुष एकल एसएल-4 स्पर्धा के कांस्य पदक मुकाबले में भारत के तरुण ढिल्लन को हार का सामना करना पड़ा है। उन्हें इंडोनेशिया के फ्रेडी सेतियावान ने 2-0 से हराया। फ्रेडी ने यह मुकाबला 21-17 और 21-11 से जीता।
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बता दें कि टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन में यह भारत का तीसरा पदक है। गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के 38 वर्षीय जिलाधिकारी (डीएम) सुहास पैरालंपिक खेलों में पदक जीतने वाले पहले IAS अधिकारी भी बन गए हैं। इससे पहले शनिवार को ओडिशा के रहने वाले 33 साल के प्रमोद भगत ओलंपिक या पैरालंपिक में गोल्ड जीतने वाले पहले भारतीय शटलर हैं। उनके अलावा इसी इवेंट में भारत के मनोज सरकार ने ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। टोक्यो पैरालंपिक में भारत की पदकों की संख्या 18 हो गई है। भारत ने अब तक 4 स्वर्ण, 8 रजत और छह कांस्य पदक जीते हैं।
डीएम सुहास का सफर
बता दें कि कर्नाटक के 38 वर्ष के सुहास के टखनों में विकार है। कोर्ट के भीतर और बाहर कई उपलब्धियां हासिल कर चुके सुहास कम्प्यूटर इंजीनियर है और 2007 बैच के आईएसएस अधिकारी भी। वह 2020 से नोएडा के जिलाधिकारी हैं और कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में मोर्चे से अगुआई कर चुके हैं। एनआईटी कर्नाटक से कंप्यूटर इंजीनियर के रूप में स्नातक की उपाधि प्राप्त लेने वाले सुहास इससे पहले प्रयागराज, आगरा, आजमगढ़, जौनपुर, सोनभद्र जिलों के जिलाधिकारी रह चुके है।
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