नई दिल्लीः फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की आज एकादशी तिथि है। इस दिन को आमलकी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। होली के नजदीक इस एकादशी के पड़ने के चलते इसे रंगभरी एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार आज के दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आंवले के पेड़ में भगवान श्री विष्णु का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि आमलकी एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि की भक्ति भाव के साथ आराधना करने से मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। साथ ही धन, संपदा और प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है।
आमलकी एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस बार आमलकी एकादशी 14 मार्च (सोमवार) को पड़ रही हैं। एकादशी तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 14 मार्च दोपहर 12 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। इसके बाद द्वादशी तिथि शुरू हो जाएगी। आमलकी एकादशी के दिन स्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है ऐसे में आज के दिन व्रत करने वाले भक्त के सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
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आमलकी एकादशी के व्रत के नियम
आमलकी एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और आज के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान के साथ व्रत एवं पूजन करना चाहिए। आमलकी व्रत के विधान का पालन करते हुए जो भी भक्त भगवान श्रीविष्णु की पूजा करते है उनके सभी कष्ट भगवान दूर करते हैं।
एकादशी व्रत के दौरान अनाज का सेवन वर्जित माना गया है। साथ ही व्रत करने वाले को दूसरे दिन सूर्योदय के बाद भी पारण करना चाहिए।
यदि एकादशी के दिन आप व्रत नहीं रखते हैं तो इस दिन चावल का सर्वथा ही परित्याग करें।
एकादशी के दिन व्रत रखने को विष्णुसहस्रनाम का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
व्रत करने वाले मनुष्य को किसी का अहित नहीं करना चाहिए। उसे झूठ एवं परनिंदा से भी बचना चाहिए।
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