रामगढ़: दुनियाभर में सोने की चिड़िया के नाम से विख्यात भारत देश में फसलों की उन्नत किस्में किसानों का भाग्य बदल देती थी। ऐसे ही एक धान की किस्म छत्तीसगढ़ के रामगढ़ जिला के किसानों की किस्मत भी बदल रही है। यहां धान की 2000 साल पुरानी किस्म "काला नमक" नामक धान की खेती शुरू हो गई है। यहां के एक किसान ने अपनी एक एकड़ जमीन पर यह धान लगाया है। उसे उम्मीद है कि फसल की किस्म उसके आर्थिक उन्नति में सहायक होगी।
रामगढ़ प्रखंड के हेसला गांव निवासी संतोष बेतिया ने बताया कि धान के जिस किस्म को उन्होंने अपने खेत में लगाया है, उसका बाजार मूल्य काफी अधिक है। साधारण चावल जहां बाजार में 30 से 80 किलो तक बिकता है, वहीं काला नमक धान लगभग 400 किलो में बिकता है। धान की यह फसल किसानों के लिए इसलिए भी बेहतर है क्योंकि इसे लगाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती है। जिस खेत में काला नमक धान लगता है वहां न तो कीड़े-मकोड़े पहुंचते हैं और न ही इस धान को कोई रोग लगता है। यहां तक की निकौनी की जरूरत भी नहीं पड़ती है। सबसे बड़ी बात यह कि चावल खाने में बेहद स्वादिष्ट और खुशबूदार है।
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रामगढ़ में आत्मा के उपनिदेशक चंद्रमौली सिंह ने बताया कि काला नमक चावल इंसान को कई रोगों से बचाता है। सबसे बड़ी बात की मधुमेह से ग्रसित व्यक्ति भी इस चावल को खा सकता है। उस रोग को ठीक करने में भी यह सहायक है। इसके अलावा कैंसर जैसे असाध्य बीमारी को रोकने में भी काला नमक चावल सहायक होता है। इस बात का प्रमाण वैज्ञानिकों ने भी दिया है। रामगढ़ जिले में धान का किस्म पहली बार लगाया गया है। 1 एकड़ में लहलहाती हुई फसल खड़ी हुई है। इसका उत्पादन भी काफी अच्छा है। अगले वर्ष इस किस्म को वृहद पैमाने पर लगाया जाएगा।
भगवान बुद्ध ने इसी चावल से बनाई थी खीर
आत्मा के उप निदेशक चंद्रमौली सिंह ने बताया कि काला नमक चावल भारत की सबसे पुरानी किस्मों में से एक है। एक कहानी के अनुसार भगवान बुद्ध ने भी इसी चावल से खीर बनाकर लोगों में वितरित किया था। चावल का सबसे खास बात यह है कि यह इंसान के इम्यूनिटी सिस्टम को काफी मजबूत करता है। जिससे इंसान की बुद्धि तेज होती है।