नई दिल्लीः आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर सात अक्टूबर से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है। इस बार यह नवरात्र 8 दिन के ही रहेंगे। चतुर्थी और पंचमी तिथि एक ही दिन होने से नवरात्र का एक दिन घट गया है। कुछ पंचांगों में तृतीया व चतुर्थी एक दिन होने का उल्लेख है। यह पर्व गुरुवार से शुरू होकर 14 अक्टूबर गुरुवार को ही इसका समापन होने से इसे शुभ माना जा रहा है। दो तिथि एक दिन होने से मां कुष्मांडा और स्कंद माता की आराधना एक ही दिन होगी। नवरात्र में मां दुर्गा इस बार डोली में विराजमान होकर आएंगी। इसे जहां धर्म, समाज आदि क्षेत्रों के लिए शुभ माना गया है। वहीं इस दौरान 8 में से 6 दिन रवियोग रहेगा। इन दिनों वस्त्र, आभूषण, वाहन खरीदना और गृह प्रवेश मंगलकारी रहेगा।
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का प्रारंभ 6 अक्टूबर बुधवार दोपहर 4.34 बजे से होगा। यह तिथि दूसरे दिन गुरुवार को दोपहर 1.46 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 7 अक्टूबर गुरुवार के दिन से नवरात्र प्रारंभ होगा। इसी दिन सुबह शुभ मुहूर्त में घट स्थापना कर मां शैलपुत्री की आराधना की जाएगी। तृतीया व चतुर्थी शनिवार के दिन होने से चतुर्थी का क्षय हो गया है, जिससे नवरात्र 8 दिन की मनाई जाएगी। पहले दिन गुरुवार को सुबह 4.40 से 6.59 बजे तक भद्र नाम पंच महापुरुष योग की भी निष्पत्ति हो रही है। इस समय घट स्थापना या माता की आराधना व्यापार एवं शिक्षा में सफलता दिलाएगी। इसके बाद सुबह 7 से 9.17 बजे तक तुला लग्न में शश नामक पंच महापुरुष महायोग भी रहेगा। गुरुवार को नवरात्रि आरंभ होने के कारण इस बार मातारानी डोली में विराजमान होकर आ रही हैं।
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माता का डोली में आगमन शुभ और मंगलदायक रहेगी। पंडितों का कहना है कि चूंकि अभी कोरोना महामारी का संकट पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है, इसलिए रोग मुक्ति के लिए नवरात्र में सभी लोग साधना-आराधना के चलते रोग दूर करने वाले मंत्रों का जाप अवश्य करें। ज्योतिषियों ने बताया कि आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा का प्रारंभ 6 अक्टूबर बुधवार दोपहर 4.34 बजे से होगा। यह तिथि दूसरे दिन गुरुवार को दोपहर 1.46 बजे तक रहेगी। उदया तिथि 7 अक्टूबर गुरुवार के दिन नवरात्र प्रारंभ होगा।
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