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ठेकेदारों के दिए घाव नहीं भर पा रहा विद्युत निगम

METER
लखनऊः यूपी में विद्युत उपभोक्ता ही नहीं बिजली विभाग खुद तमाम परेशानियों से जूझ रहे हैं। लाइन लाॅस, मीटर रीडिंग, स्मार्ट मीटर, अभियंताओं की वसूली के अलावा तमाम तरह की खामियां उजागर होने के बाद अंततः आरोप तो विभाग को ही झेलना पड़ता है। यह हाल राजधानी लखनऊ के अलावा तमाम बड़े शहरों का है। हाल ही में राजधानी में स्मार्ट मीटर घोटाले के उजागर होने के बाद विभाग की जमकर किरकिरी हुई थी। हजारों यूनिट रीडिंग स्टोर होने के बावजूद नो-डिस्प्ले दिखाकर मीटर बदल दिए जाने की बात तो सभी जानते हैं। मीटर में गड़बड़ी, एनर्जी स्टोर व शंट बताकर उपभोक्ताओं को धमकाने के मामले भी पुराने हो चुके हैं। अब विभागीय अधिकारियों की गैर-मौजूदगी में ठेकेदार अवैध रूप से मीटर सील कर रहे हैं। यही नहीं कंपनियों के कारनामे के चलते विद्युत निगम बदनाम हो रहा है और इससे उपभोक्ता भी परेशान हो रहे हैं। राजधानी के मड़ियाव स्थित कृष्णा विहार निवासी नीरज जायसवाल खाता संख्या (2523899666) के यहां ठेकेदार ने नो-डिस्प्ले पर मीटर उतार दिया था। जब सहायक अभियंता ने मीटर की जांच की तो 4254 यूनिट रीडिंग स्टोर प्राप्त हुई। वहीं रहीमनगर के मार्टिनपुरवा निवासी शकीला खातून (7456380000) के मीटर में 10417 यूनिट रीडिंग दर्ज थी, लेकिन ठेकेदार ने उसे भी नो-डिस्प्ले की आड़ में उतार दिया था। इसी प्रकार जानकीपुरम निवासी सरताज अली (4269290000) का भी मीटर नो डिस्प्ले पर उतार दिया गया, जबकि 5488 यूनिट रीडिंग छूटी है। बरेली में पावर कॉर्पोरेशन में हावी निजी कंपनियां ‘जो चाहेंगे वही करेंगे’ की नीति पर काम कर रही हैं। पिछले दिनों जन्माष्टमी पर स्मार्ट मीटर ने गुल खिलाया था। इससे बरेली समेत कई जिलों में लाखों उपभोक्ता प्रभावित हुए थे। त्यौहार पर ब्लैक आउट हो गया था। तब से अब तक इसकी जांच चल रही है। विभाग ने नए मीटर लगाने पर भी रोक लगा दी है। बरेली में ही 53 हजार लोगों को अंधेरे में जन्माष्टमी मनानी पड़ी थी। कई बड़े शहरों में ईईएसएल कंपनी ने मीटर लगाए थे। ईईएसएल के अधिकारियों के अनुसार, कंपनी ने पछले साल सार्वजनिक निविदा के जरिये ऐसे 50 लाख स्मार्ट मीटर खरीदे थे। उत्तर प्रदेश के लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा जैसे शहरों में स्मार्ट मीटर लगाने का काम काफी समय पहले किया जा चुका था। पिछले साल नवंबर में नरैनी में बिजली विभाग से संबंद्ध ठेकेदारों की ओर से विद्युतीकरण के नाम पर ग्रामीणों के घरों में मीटर लगा दिए गए। जबकि कई गांवों में न ही बिजली के खंभे गड़े, न ही अभी तक लाइन खींची गई। पांच माह से विभाग द्वारा बिना बिजली दिए नियमित बिल भेजे जा रहे थे और मामला बढ़ने पर इस पर अंकुश लगाया जा सका था। मीटर लगाने वाली कंपनियां कर रहीं खेल लखनऊ में बिजली विभाग में स्मार्ट मीटर के बाद अब इलेक्ट्रॉनिक मीटर से जुड़ा बड़ा घोटाला सामने आया है। रायबरेली में बिना मीटर लगाए ही ऑनलाइन फीड करने का घोटाला हुआ, साथ ही इन मीटरों का इस्तेमाल कर पहले से चलते मीटर भी गायब कर दिए गए थे। वहीं, इटावा में भी बिजली मीटर से जुड़ी बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां बिना मीटर लगे ही उसकी रीडिंग 8 लाख 41 हजार यूनिट के पार तक पहुंच गई। इस मामले में जीनस कंपनी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। यह भी पढ़ें: यूपी में पराली जलाने पर 2 हजार किसानों पर मामला दर्ज, 6 गिरफ्तार पावर टेक कंपनी के मीटर लगाने पर रोक दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने पावर टेक कंपनी के बिजली मीटर लगाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। सौभाग्य योजना के तहत उपभोक्ताओं के यहां लगाए गए पावर टेक के मीटरों की रीडिंग और लोड जंपिंग की शिकायतों को देखते हुए यह फैसला किया गया है। यूएटी टेस्ट के लिए प्रबंध निदेशक मध्यांचल की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय कमेटी बनाई गयी है, जो जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी इस प्रकार की तमाम शिकायतों की जांच रिपोर्ट आ चुकी है, लेकिन किसी भी दोषी अभियंता पर न तो कार्रवाई नहीं हुई और न ही मीटर निर्माता कंपनी को ही ब्लैकलिस्ट किया गया।