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'आपकी संवेदनशून्यता से पीड़ा हुई'..., जातिगत गणना समेत इन मुद्दों पर तेजस्वी का PM को खुला पत्र

tejashwi yadav

पटना: नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुला पत्र लिखा है। पत्र में तेजस्वी ने जातिगत गणना, आरक्षण, मंडल कमीशन और संविधान पर कई प्रश्न पूछे हैं। साथ ही प्रधानमंत्री के बिहार दौरे में जनसभा को संबोधित करने के दौरान उनके शब्दों पर भी प्रहार किया है।

तेजस्वी ने पत्र में लिखा है कि प्रधानमंत्री जी, आपके नाम खुला खत है। जरा समय निकालकर जातिगत जनगणना, आरक्षण, मंडल कमीशन और संविधान पर अवश्य ही अपना ज्ञानवर्धन कर लीजिएगा। पत्र में लिखा है कि चुनावी मौसम में ही आप बिहार आते हैं। कल (शनिवार) आप फिर से बिहार आए और एक बार फिर आपने सभी लोगों को भ्रमित  करने का असफल प्रयास किया। मैं आपके समक्ष कुछ बातें रखना चाहता हूं।

पत्र में क्या बोले तेजस्वी

तेजस्वी ने लिखा है कि प्रधानमंत्री जी! आपको याद होगा कि बिहार से हम सब अगस्त 2021 में आपके पास जातिगत गणना की मांग को लेकर आए थे। नीतीश कुमार की जदयू समेत और भी दल इस मांग के पक्ष में थे। जातिगत गणना का प्रस्ताव मेरी ही पहल पर सर्वसम्मति से बिहार विधानसभा में पास कराया गया। हम सभी ने मिलकर आपसे जातिगत गणना की मांग की थी लेकिन आपने एकदम हमारी यह मांग ठुकरा दी थी। आपकी संवेदनशून्यता से हम सबको पीड़ा हुई लेकिन क्या ही कहे।

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आप पिछड़ा और दलित विरोधी मानसिकता के हैं - तजेस्वी यादव

तेजस्वी ने लिखा है, जब हम बिहार में सरकार में आए तो राज्य के खर्चे पर जातिगत सर्वेक्षण कराया। उसकी हकीकत से आपको भी अवगत कराया गया। हमने उस सर्वेक्षण के आलोक में आरक्षण का दायरा 75 फीसदी तक बढ़ाया और आपसे बार-बार गुजारिश करते रहे कि इसको संविधान की नौंवी अनुसूची में डालिए लेकिन मूलतः आप पिछड़ा और दलित विरोधी मानसिकता के हैं। आपने हमारी इस महत्वपूर्ण आग्रह पर कोई विचार नहीं किया। पटना में 10 दिसंबर, 2023 को आयोजित पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री से भी हमने मांग की थी उनसे आप पूछ सकते हैं।

पत्र में लिखा है कि आप बिहार आये और यहां आकर आप जितनी कुछ आधारहीन, तथ्यहीन और झूठी बातें कर सकते थे, आपने की। अब आपसे अपेक्षा नहीं है कि आप अपने पद की गरिमा का ख्याल रखकर विमर्श को ऊंचा रखेंगे लेकिन आप 'भैंस' और 'मंगलसूत्र' के रास्ते होते हुए 'मुजरा' तक की शब्दावली पर आ गए। सच कहूं तो हमें आपकी चिंता होती है। क्या इस विशाल हृदय वाले देश के प्रधानमंत्री की भाषा ऐसी होनी चाहिए? आप सोचिए व निर्णय कीजिए मुझे और कुछ नहीं कहना है।

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