नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कार्यकर्ता उमर खालिद (
Umar Khalid) की जमानत याचिका पर फैसला 24 जुलाई तक टाल दिया। खालिद को 2020 के दिल्ली दंगों के पीछे कथित बड़ी साजिश में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया था। जस्टिस ए.एस. बोपन्ना और एम.एम. सुंदरेश की पीठ 24 जुलाई को मामले की सुनवाई के लिए सहमत हुई।दिल्ली पुलिस के वकील ने हजारों पन्नों की भारी भरकम चार्जशीट का हवाला देते हुए जवाब दाखिल करने के लिए और समय मांग लिया।
पिछले साल 18 अक्टूबर को की थी जमानत की मांग
खालिद (Umar Khalid) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, "आदमी दो साल और ग्यारह महीने से हिरासत में है। अब क्या जवाब (शपथ पत्र) दाखिल करना होगा? यह जमानत याचिका है।" खालिद ने दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत देने से इनकार के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की पीठ ने पिछले साल 18 अक्टूबर को नियमित जमानत की मांग करने वाली खालिद की अपील खारिज कर दी थी। खालिद ने निचली अदालत द्वारा जमानत देने से इनकार के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया था।
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दिल्ली दंगों के आरोपी है खालिद
खालिद (Umar Khalid) पर नागरिकता संशोधन अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर पर विरोध प्रदर्शन के दौरान अमरावती में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है, जिसके कारण कथित तौर पर दिल्ली में दंगे हुए। दिल्ली पुलिस के अनुसार, जेएनयू के विद्वान और कार्यकर्ता खालिद और शरजील इमाम राष्ट्रीय राजधानी में 2020 के दंगों से संबंधित कथित बड़ी साजिश मामले में शामिल लगभग एक दर्जन लोगों में से हैं। फरवरी 2020 में हुए दंगों में 50 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे।
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