मथुरा: मथुरा जिला जज न्यायालय में श्रीकृष्ण विराजमान की 13.37 एकड़ जमीन के स्वामित्व और शाही ईदगाह हटाने की अपील मंजूर हो गई है। अब इस मसले पर 18 नवम्बर को सुनवाई होगी। बता दें, इससे पहले सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में केस को खारिज कर दिया गया था।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर मालिकाना हक के लिए ‘श्रीकृष्ण विराजमान’ की ओर से जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में अपील की गई थी, जिसमें अवर कोर्ट की पत्रावली तलब होने के बाद 40 मिनट तक दलील पेश की गई। 40 मिनट की दलील के बाद जिला जज साधना रानी ठाकुर ने अपील को अनुमति दे दी और अब प्रतिवादी पक्ष शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया जाएगा। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक को लेकर आज पहली जीत हुई है।
यह भी पढ़ें- पीएम मोदी ने खाद्य एवं कृषि संगठन की वर्षगांठ पर जारी किया 75 रुपये का स्मृति सिक्काअधिवक्ता हरिशंकर जैन ने कहा कि दोपहर बाद डीजे कोर्ट साधना रानी ठाकुर ने हमारी दलील सुनी और छाया शर्मा की कोर्ट से पत्रावली तलब करने के बाद दस्तावेजों पर विचार किया, जिसके बाद याचिका को स्वीकार कर लिया गया। प्रतिवादी पक्ष शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया जाएगा। अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मालिकाना हक को लेकर आज पहली जीत हुई है।
सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने केस किया था खारिज
श्रीकृष्ण विराजमान और लखनऊ निवासी अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री समेत आठ लोगों ने 25 सितंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में दावा दायर किया था। इसमें 10 अगस्त 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के बीच हुआ समझौता रद करने और मस्जिद हटाकर जमीन मंदिर को दिए जाने की प्रार्थना की गई थी। अदालत ने सुनवाई के लिए पर्याप्त आधार न होने की बात कहकर 30 सितम्बर को दावा खारिज कर दिया था। इस पर 12 अक्टूबर को जिला जज साधना रानी ठाकुर की अदालत में अपील दायर की गई। अदालत ने वाद की पोषणीयता पर करीब दो घंटे तक सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर को दोबारा सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित कर दी। वादी रंजना अग्निहोत्री ने बताया कि वह अपने अधिवक्ता विष्णु जैन और हरिशंकर जैन के जरिए अदालत में अपना पक्ष रखेंगी। अदालत सुनवाई के बाद ये फैसला लेगी कि ये वाद चलेगा या खारिज होगा।
यह है मामला
दरअसल, ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा और 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्म स्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हो गए। जिसके बाद स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए। मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा। जिसके बाद 21 फरवरी 1951 में श्री कृष्ण जन्म भूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई। 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया। 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई। डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने जिला जज कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया गया।