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मकर संक्रांति के दिन स्नान-दान का विशेष महत्व, इस दिन भूलकर भी न करें यह कार्य

makar sankranti

नई दिल्लीः शास्त्र के अनुसार सूर्य जब धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं। यह काल देवताओं की मध्यरात्रि मानी जाती है। इस दिन से देवता अपने दिन की ओर उन्मुख होने लगते हैं। पर्व पर स्नान-दान का विशेष महत्व है। संक्रांति काल में गंगा सहित अन्य नदियों में स्नान करने और श्रद्धानुसार जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र का दान करने से मनुष्य को पुण्य फल प्राप्त होता है। गुड़ का दान विशेष फलदाई माना जाता है। पुण्य काल में स्नान-दान करने से मनुष्य कई जन्मों तक निरोगी रहता है। उगादि का प्रथम दिन भी मकर संक्रांति को भी माना गया है तथा इसी दिन से शिशिर ऋतु शुरू होता है। मकर संक्रांति के साथ ही सूर्य दक्षिणायण से उत्तरायण हो जाएंगे तथा खरमास समाप्ति हो जायेगा। शास्त्रों में उत्तरायण अवधि को देवताओं का दिन और दक्षिणायन को देवताओं का रात माना जाता है। सूर्य के उत्तरायण होने के बाद से देवों की ब्रह्ममुहूर्त उपासना का पुण्यकाल प्रारंभ हो जाता है। इस काल में देव प्रतिष्ठा, गृह निर्माण, यज्ञ कर्म आदि पुण्य कार्य किए जाते हैं।

14 जनवरी को ही मनाया जाएगा मकर संक्रांति
इस वर्ष मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को ही मनाया जाएगा लेकिन, पुण्य काल सुबह के बदले दोपहर से है। सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में देर से प्रवेश करने के कारण ऐसा हो रहा है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक आमतौर पर 13 जनवरी की रात से 14 जनवरी के सुबह तक सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। जिसके कारण मकर संक्रांति का पुण्य काल 14 जनवरी को सुबह में होता है लेकिन इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी को 33 दंड 53 पल पर यानी रात 8.54 बजे धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। जिसके कारण दोपहर में 2.54 बजे से मकर संक्रांति का पुण्य काल एवं सर्वार्थ सिद्ध योग है। वर्ष में 12 संक्रांति होते हैं, लेकिन सूर्य जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो वह सबसे खास संक्रांति होता है।

12 राशियों पर पड़ेगा प्रभाव
मकर संक्रांति का सभी 12 राशियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा लेकिन अधिकतर राशियों के लिए शुभ एवं फलदायी है। सूर्य का मकर राशि में विचरण करना बहुत ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है। इस दिन तिल, गुड़, मूंग दाल एवं खिचड़ी का सेवन अति शुभकारी होता है। इस वर्ष 14 जनवरी को मकर राशि में सूर्य के साथ पांच ग्रहों के योग से विशेष हो जाएगा तथा दोपहर 2.54 बजे के बाद स्नान, दान और पूजा से जीवन में सुख, शांति, समृद्धि आएगी। इस दिन सभी को स्नान कर तिल एवं गुड़ से संबंधित वस्तु खानी चाहिए।

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मकर संक्रांति पर भूलकर भी न करें यह कार्य
मकर संक्रांति के दिन भूलकर भी मदिरापान नहीं करना चाहिए। साथ ही इस मसालेदार भोजन की भी मनाही होती है।
मकर संक्रांति के दिन तामसिक खाद्य पदार्थो का सेवन भी नहीं करना चाहिए। तामसिक भोज्य पदार्थो जैसे मांस, लहसुन और प्याज का सेवन मकर संक्रांति के दिन नहीं करना चाहिए।
मकर संक्रांति के दिन बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए।
इस दिन दान का बेहद महत्व होता है। इसलिए किसी को भी खाली हाथ नहीं लौटाना चाहिए। उन्हें तिल, अन्न, वस्त्र आदि दान अवश्य करना चाहिए।

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