शिमला: लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से एक दिन पहले सोमवार को हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने तीन निर्दलीय विधायकों केएल ठाकुर, आशीष शर्मा और होशियार सिंह का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और अब ये तीनों विधायक विधानसभा के सदस्य नहीं रहे। इन तीनों ने 72 दिन पहले विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद ये भाजपा में शामिल हो गए थे। सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने दलबदल विरोधी कानून के तहत इन्हें अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए अध्यक्ष के समक्ष याचिका दायर की थी। तीनों निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था।
जब अध्यक्ष द्वारा इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया तो तीनों निर्दलीय विधायकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने सोमवार को विधानसभा स्थित अपने कक्ष में आयोजित प्रेस वार्ता में कहा कि विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने वाले तीनों निर्दलीय विधायकों केएल ठाकुर, आशीष शर्मा और होशियार सिंह का इस्तीफा तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया गया है और अब ये तीनों मौजूदा 14वीं विधानसभा के सदस्य नहीं माने जाएंगे।
राज्य विधानसभा रह गए 59 सदस्य
उन्होंने कहा कि दलबदल कानून के तहत तीन निर्दलीय विधायकों को अयोग्य ठहराए जाने संबंधी याचिका पर भी आज फैसला सुनाया जाएगा, लेकिन किसी भी सूरत में ये निर्दलीय विधायक अब विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे। हिमाचल विधानसभा में विधायकों की संख्या घटकर 59 हुई, तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद अब राज्य विधानसभा के सदस्यों की संख्या घटकर 59 रह गई है। 68 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराया गया था। इसके चलते सदस्यों की संख्या घटकर 62 रह गई थी।
तीन सीटों पर होंगे उपचुनाव
अब तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे स्वीकार किए जाने के बाद विधानसभा में 59 सदस्य बचे हैं। इनमें कांग्रेस के 34 और भाजपा के 25 विधायक हैं। निर्दलीय विधायकों की सदस्यता समाप्त होने के बाद अब हिमाचल में तीन सीटों हमीरपुर, देहरा और नालागढ़ में विधानसभा उपचुनाव होंगे।
स्पीकर को क्यों लेना पड़ा फैसला
तीनों निर्दलीय विधायकों ने मार्च के अंतिम पखवाड़े में अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन लंबे समय तक इनके इस्तीफे स्वीकार नहीं किए गए। दरअसल, सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी नहीं चाहती थी कि लोकसभा चुनाव के साथ ही नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हों, क्योंकि कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को भी अयोग्य घोषित कर दिया गया था। लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव के नतीजों से एक दिन पहले स्पीकर ने इन तीनों के इस्तीफे स्वीकार कर लिए, ताकि विधानसभा उपचुनाव में छह सीटें भाजपा के खाते में जाने पर भी सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार गिरने का खतरा न रहे। दरअसल, अगर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा सभी छह सीटें जीत जाती है तो उसके विधायकों की संख्या 25 से बढ़कर 31 हो जाएगी। ऐसे में तीन निर्दलीय विधायकों को मिलाकर यह संख्या 34 हो जाएगी। वहीं, कांग्रेस विधायकों की संख्या भी 34 है। इससे कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर खतरा मंडराना था।
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हिमाचल हाईकोर्ट को देना था अंतिम फैसला
हिमाचल प्रदेश के तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे का मामला भी लंबित रहा। इस मामले में राज्य हाईकोर्ट अपना अंतिम फैसला नहीं दे पाया है। हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर अलग-अलग राय रखी थी, जिसके बाद मामले को तीसरे जज को सौंपने की सिफारिश की गई थी। हाईकोर्ट के तीसरे जज को मामले की सुनवाई कर अंतिम फैसला देना था। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 30 अप्रैल को फैसला सुरक्षित रख लिया था। तब से निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे पर हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा था। गौरतलब है कि देहरा से निर्दलीय विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर और हमीरपुर से आशीष शर्मा ने 22 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष और सचिव को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया था। प्रत्येक इस्तीफे की एक प्रति राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला को भी दी गई थी। इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाने पर उन्होंने विधानसभा परिसर में धरना भी दिया था।
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