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किसानों तक पहुंचने लगी मिट्टी की रिपोर्ट, कोरोनाकाल में बंद हो गई थी जांच

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लखनऊः प्रदेश के किसान मृदा परीक्षण को लेकर काफी चिंतित रहते हैं। कोरोना संक्रमण की वजह से परीक्षण अभियान दो साल पहले रोका गया था, जिससे तमाम खेती कार्य प्रभावित हुए थे। इस वर्ष अब तक सैनिटाइज बेसिक सैंपल पर काम अभी तक नहीं शुरू किया जा सका है, लेकिन राहत की बात यह है कि डाक और सोशल मीडिया के जरिए किसानों तक मिट्टी की रिपोर्ट भेजी जा रही है।

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सरकार ने 2014-15 में मृदा परीक्षण अभियान शुरू किया था, ताकि किसान यह जान सकें कि उनके खेत की जरूरत क्या है, कौन सी खाद कितनी मात्रा में डालकर अच्छी उपज ली जा सकती है। कोरोना ने जैसे ही पांव पसारे, तमाम सरकारी काम भी रोक दिए गए थे। 2015-16 में प्रदेश में योजना का क्रियान्वयन शुरू हुआ और 2016-17 तक मृदा परीक्षण का पहला चरण चला। 2017-18 में दूसरा चरण शुरू हुआ। 2018-19 में ग्रिड आधारित यानी सिंचित क्षेत्र की 04 हेक्टेयर व असिंचित क्षेत्र की 10 हेक्टयेर भूमि का चयन करके परीक्षण किया गया। इसमें 49 लाख ग्रिडों के नमूने शामिल किए गए थे। इसी दिशा में कृषि विभाग ने 2019-20 में हर ब्लाक के एक गांव का चयन करके जोत आधारित परीक्षण कराया था। करीब 12 बिंदुओं की जांच में एनपीके, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश, सल्फर, जिंक, बोरान आदि थे।

वर्तमान में इन्हीं बिंदुओं पर मिट्टी की गुणवत्ता की जांच जोरों पर शुरू की गई है। भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान की ओर से ए. के. शाह ने इंडिया पब्लिक खबर को बताया कि कोरोना पीरियड में भी जांच चल रही थी, बस वह सैनिटाइज बेस पर थी। वर्तमान में भी कई तरह से मिट्टी के सैंपल लिए जा रहे हैं, इनमें सात दिन काफी महत्वपूर्ण है। शाह ने बताया कि आॅनलाइन व्यवस्था के तहत रिपोर्ट किसानों तक पहुंचा दी जाती है। इस काम में और तेजी लाई जाएगी, ताकि किसान ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकें।

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