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संयुक्त राष्ट्र में बोलीं स्मृति - भारत लैंगिक समानता, महिला सशक्तीकरण के लिए प्रतिबद्ध

Union Minister for Women and Child Development and Textiles, Smriti Irani addressing at the International Women’s Day Celebration

न्यूयॉर्कः केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने महिलाओं की स्थिति पर बने संयुक्त राष्ट्र आयोग के 65 वें सत्र की एक सामान्य चर्चा में हिस्सा लिया। शुक्रवार को हुई चर्चा में मंत्री ने लैंगिक समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया।

केंद्रीय मंत्री ईरानी ने कहा कि भारत अपनी बेटियों और दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक अधिक न्यायसंगत स्थिति के निर्माण की ओर अग्रसर है। हम कोविड के इस दौर में भी एक समान दुनिया के निर्माण की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम हैं।'

ईरानी ने महिलाओं के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से उठाए गए कदमों की प्रशंसा की। मंत्री ने कहा कि हम महिला एजेंसी और महिलाओं में नेतृत्व क्षमता के सभी प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हमें 'आत्मनिर्भर भारत' की आकांक्षा का एहसास है।

उन्होंने कहा कि हम भारत में फ्लैगशिप कार्यक्रमों की एक श्रृंखला को लागू कर रहे हैं। यह श्रृंखला महिलाओं के वित्तीय समावेशन, रोजगार और स्वरोजगार के अवसरों, स्वास्थ्य सेवा, पोषण, सुरक्षा, रक्षा और शिक्षा में महत्वपूर्ण विस्तार पर ध्यान केंद्रित करेगी।

ईरानी ने कहा कि स्थानीय शासन में महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण ने यह सुनिश्चित किया है कि समुदाय के स्तर पर लैंगिक-संवेदनशील सार्वजनिक नीतियों को बनाने और लागू करने में 1.37 मिलियन निर्वाचित भारतीय महिला प्रतिनिधि नेतृत्व प्रदान करें। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री जन धन योजना की वित्तीय समावेशन योजना के माध्यम से, देश के इतिहास में पहली बार 220 मिलियन से अधिक भारतीय महिलाओं को बैंकिंग प्रणाली में लाया गया।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार ने भारतीय कौशल कार्यक्रम के भीतर और महिलाओं की उद्यमिता को बढ़ावा देने और महिलाओं को बिना कुछ जमा कराए ऋण के लिए प्रोत्साहित करने की पहल के तहत लैंगिक लक्ष्य को प्राथमिकता दी है। विशेष रूप से जमानत-मुक्त ऋण प्रदान कर यह सम्भव हो सका।

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उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि बेटी बचाओ बेटी पढाओ योजना से जन्म के समय लिंगानुपात में सुधार आया है। इसमें 16 अंकों का सुधार देखा गया है, जिसे अखिल भारतीय स्तर पर 918 से 934 तक देखा गया है। बताया गया कि 2014-16 में 1 लाख पर 130 की मृत्यु दर देखी गई जो घटकर 2016-18 में 113 रह गई।