धूम्रपान (Smoking) के आदी दोस्तों और परिवार को धूम्रपान छोड़ने में मदद पाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए हर साल मार्च के दूसरे बुधवार को 'नो स्मोकिंग डे' मनाया जाता है। इस साल यह दिन 13 मार्च को मनाया जा रहा है। यह दिन पहली बार 1984 में आयरलैंड गणराज्य में मनाया गया था। हर साल इस दिन को एक विशेष थीम के साथ मनाया जाता है, जिसे इस साल 'तंबाकू उद्योग के हस्तक्षेप से बच्चों की सुरक्षा' थीम के साथ मनाया जा रहा है। दरअसल, यह गहन चिंतन का विषय है कि पिछले कई दशकों में दुनिया भर में हुए कई अध्ययनों में यह साबित हो चुका है कि धूम्रपान स्वास्थ्य के लिए हर लिहाज से हानिकारक है, लेकिन तमाम जानकारियों और तथ्यों के बावजूद भी हम देखते हैं हमारे आसपास धूम्रपान करने वाले बच्चे। अगर ऐसा है तो स्थिति बेहद चिंताजनक नजर आ रही है।
सबसे ज्यादा शिकार हो रहे बच्चे
ऐसे बच्चों के मन में धूम्रपान को लेकर कुछ गलत धारणाएं होती हैं, जैसे धूम्रपान उनके शरीर को अधिक सक्रिय बनाता है, उनका मानसिक तनाव कम करता है, उनका दिमाग शांत रखता है, उनके व्यक्तित्व को आकर्षक बनाता है और कब्ज से राहत दिलाता है। आदि-आदि। चूँकि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है, तमाम वैज्ञानिक शोधों के बावजूद वे यह समझ पाने की स्थिति में नहीं होते कि धूम्रपान करने से उनमें इतनी ताकत पैदा नहीं होगी कि वे कुछ ही समय में ऊँचे पहाड़ पर छलांग लगा सकें या ताकतवर बन सकें। भगवान हनुमान की तरह भवसागर को पार कर जाएंगे। हकीकत तो यह है कि धूम्रपान इतना धीमा जहर है कि इसका सेवन करने वाले का धीरे-धीरे दम घुट जाता है और बच्चों पर इसका असर बहुत घातक होता है। धूम्रपान शरीर में कई प्रकार की घातक बीमारियों को जन्म देता है और ऐसे व्यक्ति को धीरे-धीरे मृत्यु शय्या तक ले जाने का साधन बन जाता है।
7 गुना बढ़ेगी मृत्यु दर
दुनिया भर में धूम्रपान के कारण हर साल 70 लाख से ज्यादा मौतें हो रही हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में होने वाली हर 5 मौतों में से 1 पुरुष की मौत धूम्रपान के कारण हो रही है। विभिन्न सर्वेक्षणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि विकसित देशों में चालीस प्रतिशत से अधिक पुरुष और इक्कीस प्रतिशत से अधिक महिलाएँ धूम्रपान करती हैं, जबकि विकासशील देशों में केवल आठ प्रतिशत महिलाएँ ही इसकी आदी हैं और पुरुषों की संख्या इससे कहीं अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, तंबाकू के सेवन से फेफड़ों के कैंसर से हर दिन करीब आठ हजार लोगों की मौत हो जाती है। संस्था का अनुमान है कि अगर दुनिया भर में धूम्रपान की लत बढ़ती रही तो जल्द ही पचास करोड़ लोग धूम्रपान के कारण मर जाएंगे और अगले तीस वर्षों में अकेले गरीब देशों में धूम्रपान से मरने वालों की संख्या दस लाख से बढ़कर 70 लाख हो जाएगी।
संगठन का अनुमान है कि हर साल दुनिया भर में आठ हजार से अधिक नवजात शिशुओं की धूम्रपान के कारण समय से पहले मौत हो जाती है। आंकड़े बताते हैं कि सभी प्रकार के लगभग 40 प्रतिशत कैंसर धूम्रपान के कारण होते हैं। धूम्रपान वास्तव में एक ऐसा धीमा जहर है, जो धीरे-धीरे हमारे शरीर में घातक बीमारियों को जन्म देता है और धीरे-धीरे व्यक्ति को मृत्यु शय्या पर पहुंचा देता है। धूम्रपान कितना खतरनाक है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सिगरेट का धुआं लगभग 50 टन तांबा, 15 टन सीसा, 11 टन कैडमियम और कई अन्य खतरनाक रसायन पर्यावरण में छोड़ता है। WHO का कहना है कि कैंसर, हृदय रोग, सांस की बीमारी, मधुमेह आदि बीमारियों में धूम्रपान बहुत खतरनाक हो सकता है, इसलिए हर व्यक्ति को धूम्रपान से बचना चाहिए।
गर्भवती महिला के लिए श्राप है धूम्रपान
सिगरेट के धुएं में पोलीनियम 210, कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, निकेल, पाइरीडीन, बेंज़पाइरीन, नाइट्रोजन आइसोप्रेनॉइड, एसिड, क्षार, निकोटीन, टार, जिंक, हाइड्रोजन साइनाइड, कैडमियम, ग्लाइकोलिक एसिड, स्यूसिनिक एसिड, एसिटिक एसिड, फॉर्मिक एसिड, मिथाइल अधिक होते हैं। इसमें चार हजार से अधिक क्लोराइड आदि घातक रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं, जो मानव शरीर को विभिन्न प्रकार से नुकसान पहुंचाते हैं। गर्भवती महिलाओं द्वारा धूम्रपान करने से बच्चों का छोटा और कम वजन का पैदा होने, बच्चों में विकलांगता और बचपन में घातक हृदय रोगों का खतरा काफी बढ़ जाता है। यदि कोई गर्भवती महिला प्रतिदिन बीस सिगरेट तक पीती है, तो उसके बच्चे के मरने का खतरा सामान्य की तुलना में बीस प्रतिशत बढ़ जाता है, जबकि यदि वह बीस से अधिक सिगरेट पीती है, तो यह खतरा पैंतीस प्रतिशत तक बढ़ जाता है।
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अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, निष्क्रिय धूम्रपान के संपर्क में आने से दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु का खतरा तीस प्रतिशत बढ़ जाता है। हालाँकि, धूम्रपान छोड़ने के फ़ायदों के बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि धूम्रपान छोड़ने के मात्र बीस मिनट के भीतर उच्च रक्तचाप कम हो जाता है और बारह घंटे के बाद रक्त में कार्बन मोनोऑक्साइड के विषैले कणों का स्तर सामान्य हो जाता है। दो से बारह सप्ताह में फेफड़ों की कार्यक्षमता तेजी से बढ़ती है और एक से नौ महीने में खांसी और सांस संबंधी समस्याएं कम हो जाती हैं। संस्था के मुताबिक इंसान के फेफड़ों में जादुई क्षमता होती है, जो धूम्रपान से होने वाले कुछ नुकसान की खुद-ब-खुद मरम्मत कर लेती है और जो लोग धूम्रपान छोड़ देते हैं, उनकी चालीस प्रतिशत कोशिकाएं उन लोगों जैसी हो जाती हैं, जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया।
-योगेश कुमार गोयल