लखनऊः उत्तर प्रदेश पुलिस की राज्य विशेष जांच टीम (एसआईटी) की सख्ती का असर प्रदेश में बड़े घोटाले के मामलों के निस्तारण के रूप में देखने को मिल रहा है। एसआईटी द्वारा उठाए गए कदमों से राज्य में फर्जी डिग्री-मार्कशीट, सरकारी विभागों में भर्ती घोटाला, राजस्व की चोरी और छात्रवृत्ति में अनियमितता जैसे बड़े घोटालों पर अंकुश लगा है।
एसआईटी ने पिछले पांच वर्षों में न केवल गंभीर आर्थिक अपराधों और मामलों का समयबद्ध तरीके से निस्तारण किया है, बल्कि उन संस्थानों को सुझाव भी दिया है जहां ऐसे गंभीर मामले देखे जा रहे हैं और उनकी खामियों से अवगत कराया जा रहा है।
इसका नतीजा यह हुआ कि गंभीर मामलों पर रोक लगने से ऐसे गंभीर मामले दोबारा नहीं हुए। इतना ही नहीं, एसआईटी ने पिछले पांच सालों में लंबित मामलों के साथ-साथ मौजूदा मामलों का भी तेजी से निस्तारण किया है। इसके साथ ही उनका कार्यालय पूरी तरह डिजिटाइज्ड था, जिससे मुकदमों का तेजी से निस्तारण होता दिखाई दे रहा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एसआईटी के इन प्रयासों की सराहना की। वहीं, अन्य जांच एजेंसियों को भी सलाह दी गई कि वे एसआईटी से सीख लेकर अपने काम करने के तरीके में बदलाव करें।
दोगुनी गति से हो रही जांच
एसआईटी की महानिदेशक (डीजी) रेणुका मिश्रा ने गुरुवार को कहा कि पिछले पांच साल में विभाग द्वारा मामलों की जांच और जांच दोगुनी गति से की गई। इस दौरान वर्षों से लम्बित वर्तमान मामलों के साथ-साथ उनका त्वरित निस्तारण भी किया गया। जहां 2007 से 2016 के बीच 32 महीनों में 47 मामलों का निस्तारण किया गया, वहीं 2017-2023 के बीच 25 महीनों में 88 जांच पूरी की गईं, जो लगभग दोगुनी थी। इसी तरह वर्ष 2007 से 2016 के बीच 40 मामलों की विवेचना 31 माह में पूरी की गई, जबकि पांच वर्ष 2017 से 2023 के बीच 82 प्रकरणों की विवेचना 28 माह में पूर्ण की गई, जिसमें लम्बित प्रकरण भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इन मामलों में 1203 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान को रोका गया। वहीं 351 दोषी कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई की गई, जबकि 1002 को सजा दी गई। विभाग ने 82 मामलों के कुल लंबित मामलों में से आधे मामलों के निपटान के लक्ष्य के साथ, मामलों के निपटान में तेजी लाने के लिए 100 दिनों का अपना लक्ष्य निर्धारित किया, जिनमें से 41 मामलों का निपटान किया गया। इसी प्रकार गत छह माह में वर्ष 2021 के पूर्व लम्बित प्रकरणों के निस्तारण का लक्ष्य रखा गया, जिसमें 42 पुराने एवं 12 नये प्रकरणों का निस्तारण किया गया।
जल्द ही हासिल करेंगे लक्ष्य
डीजी ने कहा कि सभी मामलों की जांच और विवेचना में तेजी लाने के लिए विभाग में कई बदलाव किए गए हैं, ताकि इस लक्ष्य को हासिल किया जा सके। इसके लिए विभाग का पूर्ण कम्प्यूटरीकरण और डिजिटाइजेशन किया गया। साथ ही अधिकारियों व जजों को टैबलेट दिए। साथ ही विभाग में ई-आफिस एवं केस मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया, जिससे एक क्लिक पर जांच-पड़ताल एवं विवेचना के पत्र पढ़े जा सके तथा संबंधित अधिकारी को उसकी कमियों से अवगत कराकर तत्काल अपडेट किया जा सके। जांच व जांच का ब्यौरा किसके पास है, कितनी जांच हुई है, उसकी प्रगति क्या है। और कितने समय से लंबित आदि का डाटा ई-आफिस पर होने से प्रकरणों के निस्तारण में तेजी आई है।
यह भी पढ़ेंः-HRTC के बेड़े में शामिल होंगी 600 बसें, चालकों व परिचालकों की होगी भर्तीः डिप्टी सीएम
डीजी ने बताया कि विभाग ने सीबीआई के मानकों के आधार पर तीन महीने में जांच और एक साल में जांच पूरी करने का लक्ष्य रखा है, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है। इसी के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में यूपी पुलिस की सभी इकाइयों की समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने एसआईटी की कार्यप्रणाली की सराहना की।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)