मध्य प्रदेश

शिवराज सरकार आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए करेगी 100 खनिज ब्लॉक्स की नीलामी!

Madhya Pradesh CM Shivraj Singh Chouhan holds the first meeting of 'Cow Cabinet'

 

भोपाल: कोरोना संक्रमण के कारण  मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति प्रभावित हुई है, इसे दुरुस्त करने के राज्य सरकार के प्रयास जारी है। इसी क्रम में सरकार ने आगामी वर्ष 2022 तक सौ से अधिक खनिज ब्लाक्स की नीलामी की योजना बनाई है। केंद्रीय खनिज मंत्री प्रहलाद जोशी से प्रदेश के खनिज संबंधित विषयों पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। खनिज गतिविधियां अर्थव्यवस्था को गति देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने में अधिकतम सहयोग करना हमारा संकल्प है। प्रदेश में माइनिंग गतिविधियों को गति देने के लिए हर संभव प्रयास किये जायेंगे। हमारा प्रयास होगा कि वर्ष 2022 तक प्रदेश में एक सौ से अधिक खनिज ब्लाक्स की नीलामी हो।

केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि खनिज गतिविधियां मूलभूत अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा है कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए खनिज क्षेत्र में प्रक्रियाओं को सरलीकृत कर खनिज ब्लाक्स की नीलामी में तेजी लाई जाए। इसके लिये विभिन्न कानूनों में आवश्यक सुधार भी किया गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के अंतर्गत कार्यवाही जारी है।

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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश में कोयले के भंडार प्रचुर मात्रा में हैं। प्रदेश में कोयला खनन का कार्य भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों द्वारा किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में इन कंपनियों को कोल गैसीफिकेशन और लिक्विडिफिकेशन के लिए कार्य करने के निर्देश दिए जाएं। इससे पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा के स्रोत को समृद्ध करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग द्वारा बैतूल और छतरपुर जिले में दुर्लभ खनिजों की खोज के लिए सर्वे जारी है। यह कार्य समयसीमा में पूर्ण किया जाये।

बैठक में जानकारी दी गई कि प्रदेश में मुख्य खनिज की 831 खदानों से वर्ष 2020-21 में 2908 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। गौण खनिज की 6338 खदानों से वर्ष 2020-21 में 1538 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। आगामी वर्षों में नीलाम होने वाले खनिज ब्लाक्स से 50 साल तक लगभग 30 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य है।