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चुनाव चिन्ह पर रोक पर शरद पवार ने तोड़ी चुप्पी, बोले- आयोग के फैसले पर आश्चर्य नहीं

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मुम्बई: शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह धनुष-बाण पर रोक लगने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार ने चुनाव आयोग के फैसले पर रविवार को प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि मुझे इस फैसले पर बिलकुल आश्चर्य नहीं है, क्योंकि इसका आभास उन्हें पहले से ही था। उन्होंने कहा कि शिवसेना का नाम और उसका चुनाव चिन्ह जब्त करने से शिवसेना खत्म नहीं होगी। शरद पवार ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सिंबल फ्रिज करने का अंधेरी उपचुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि एनसीपी और कांग्रेस ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना के उम्मीदवार को समर्थन दे दिया है। इसका कारण है कि कोई भी पार्टी और संगठन चुनाव चिन्ह से नहीं चलता, बल्कि लोगों का समर्थन और सहयोग महत्वपूर्ण रहता है।

उन्होंने कहा कि इससे पहले इस तरह की घटना कांग्रेस पार्टी के साथ हो चुकी है, इसलिए यह कोई नई बात नहीं है। जनता के सहयोग से फिर चमत्कार किया जा सकता है, इसलिए इसे ज्यादा महत्व न देते हुए उद्धव ठाकरे को उपचुनाव की तैयारी करनी चाहिए। शरद पवार ने विश्वास जताया है कि वहां की युवा पीढ़ी और मजबूती से खड़ी होकर अपनी ताकत और बढ़ाएगी। पवार ने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना (ठाकरे समूह) महाविकास अघाड़ी में हैं। पवार ने साफ किया है कि इस फैसले का महाविकास अघाड़ी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। शरद पवार ने यह भी सलाह दी है कि ठाकरे और शिंदे समूह को आने वाले समय में चुनाव का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

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राकांपा विधायक रोहित पवार ने कहा कि चुनाव आयोग का शिवसेना के नाम और धनुष-बाण चुनाव चिन्ह पर रोक लगाने का फैसला लोगों के लिए चौंकाने वाला है, लेकिन निश्चित रूप से अप्रत्याशित नहीं है। इससे लोगों की वफादारी को नहीं रोका जा सकता है। उद्धव ठाकरे की दशहरा रैली में दिखी वफादारी चुनाव में भी जरूर दिखेगी। हालांकि, यह सच है कि एक सच्चे शिवसैनिक को धनुष और बाण के चुनाव चिन्ह और शिवसेना नाम को फ्रीज करने से बहुत दुख होगा।

पूर्व महापौर और शिवसेना प्रवक्ता किशोरी पेडणेकर ने कहा कि शिंदे समूह की वजह से स्वर्गीय बालासाहेब ठाकरे की शिवसेना और उसका चुनाव चिन्ह जब्त किया गया है। लोग इससे नाराज हैं और कह रहे हैं कि शिंदे समूह ने अपनी मां रूपी शिवसेना को बेच दिया। इसका परिणाम शिंदे समूह को भुगतना पड़ेगा। शिंदे समूह के प्रवक्ता दीपक केसरकर ने कहा कि शिवसेना और उसका चुनाव चिन्ह जब्त करने का फैसला अप्रत्याशित है। उन्होंने कभी भी ऐसा नहीं चाहा था, इस संदर्भ में सोमवार को चुनाव आयोग के समक्ष फिर से आवेदन दिया जाएगा और यह नाम और चुनाव चिन्ह हमें मिले, इसका प्रयास किया जाएगा।

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