नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल के संस्थापक ललित मोदी की ओर से सोशल मीडिया पर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी पर की गई झूठी टिप्पणी के मामले पर कोई भी आदेश देने से इंकार कर दिया। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, हम इस मामले में आदेश पारित नहीं कर रहे हैं, क्योंकि यह कुछ और नहीं बल्कि परिवार के किसी सदस्य द्वारा गुस्से का इजहार करने जैसा है। आप लोग इसे लंबा मत खींचिए।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ललित मोदी को सलाह दी कि मामले में वकीलों पर व्यक्तिगत टिप्पणी न करें। कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्ष इतने परिपक्व हैं कि इस तरह की टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए। कोर्ट ने दोनों पक्षों के वकीलों को मामला सुलझाने का निर्देश देते हुए कहा कि मध्यस्थता की कार्यवाही चलती रहनी चाहिए। कपिल सिब्बल ने 19 जनवरी को ललित मोदी की ओर से सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणी की ट्रांसक्रिप्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। सिब्बल ने कोर्ट से कहा था कि ललित मोदी की ओर से अंडरटेकिंग दी गई थी कि वे ऐसे बयान नहीं देंगे।
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सुप्रीम कोर्ट ने एक अगस्त, 2022 को ललित मोदी, उनकी मां बीना मोदी और उनके भाई-बहनों की संपत्ति के विवाद के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस आरवी रविंद्रन को मध्यस्थ नियुक्त किया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने सभी पक्षों को मध्यस्थता के दौरान गोपनीयता बनाए रखने का निर्देश देते हुए कहा था कि सोशल मीडिया का इस संबंध में कोई इस्तेमाल नहीं करें। ललित मोदी, बीना मोदी और उनके दो बच्चों चारू मोदी और समीर मोदी के बीच सिंगापुर में मध्यस्थता की कार्यवाही चल रही है।
दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में बीना, चारू और समीर मोदी ने यह दलील दी थी कि परिवार के सदस्यों के बीच एक ट्रस्ट डीड बनी है और भारतीय कानून के मुताबिक केके मोदी के पारिवारिक ट्रस्ट का विवाद देश के बाहर मध्यस्थता के जरिए नहीं सुलझाया जा सकता है। डिवीजन बेंच ने कहा था कि इस विवाद की सुनवाई दिल्ली में ही होगी। डिवीजन बेंच के आदेश के खिलाफ ललित मोदी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। केके मोदी की 02 नवंबर, 2019 को मौत हो गई थी, जिसके बाद ट्रस्टियों के बीच विवाद शुरू हो गया था।
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