
मुम्बई: मुम्बई के विशेष कोर्ट ने गोरेगांव पत्राचाल घोटाला मामले में शिवसेना नेता संजय राउत की जमानत याचिका पर 10 अक्टूबर तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी है। विशेष कोर्ट में मंगलवार को संजय राउत के वकील अशोक मुंदरगी ने उनका पक्ष रखा। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील इस मामले में 10 अक्टूबर को अपना पक्ष रखेंगे। उसके बाद ही विशेष कोर्ट संजय राउत की जमानत पर फैसला देगा।
संजय राउत के वकील अशोक मुंदरगी ने आज विशेष कोर्ट को बताया कि आवेदक का इस मामले में कोई लेना देना नहीं है। इस मामले में पहले गिरफ्तार किए गए प्रवीण राउत, संजय राउत और स्वप्ना पाटकर परिवार एक दूसरे के मित्र हैं। इसलिए अगर इन तीनों के बीच पैसे का लेनदेन हुआ तो उसे गोरेगांव पत्राचाल घोटाले से नहीं जोड़ा जा सकता। प्रवीण राउत 2010 में ही गुरु आशीष कंपनी से बाहर हो गए थे जबकि ईडी जिन पैसों के लेनदेन की बात कर रहा है, वह सब 2014 के बाद के हैं। संजय राउत की वजह से गुरु आशीष कंपनी को आर्थिक लाभ हुआ, जिसका अभी तक ईडी के पास कोई सबूत नहीं है।
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इस मामले में एक गवाह स्वप्ना पाटकर ने तीन बार अपना बयान बदला है। स्वप्ना पाटकर ने अपने पहले जवाब में कहा था कि इस संंबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। इसी तरह दूसरे गवाह अनिल पाटिल ने खुद प्रवीण राउत से 50 लाख रुपये कर्ज लिया था, वह भी 2014 के बाद। अशोक मुंदरगी ने कोर्ट को बताया कि अगर तीन साथी मिलकर विदेश यात्रा करते हैं, पिकनिक मनाते हैं और उसमें खर्च करते हैं तो इसमें आखिर मामला किस तरह दर्ज किया जा सकता है। इस मामले में ईडी 10 अक्टूबर को अपना पक्ष विशेष कोर्ट में रखेगा। इसके बाद कोर्ट संजय राउत की जमानत के बारे में निर्णय दे सकता है। दरअसल, गोरेगांव पत्राचाल घोटाला मामले में ईडी ने संजय राउत को जून महीने में गिरफ्तार किया था। इस समय संजय राउत न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा गया है।
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