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बच्चों में बढ़ने लगा कोरोना का खतरा, अगर दिखें ये लक्षण तो हो जाएं अलर्ट

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आगराः कोरोना वायरस का संक्रमण अब बच्चों को भी प्रभावित कर रहा है। कुछ बच्चों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। ज्यादातर बच्चों में कोरोना होने पर उल्टी-दस्त और डायरिया के लक्षण सामने आ रहे हैं। ऐसे में यदि बच्चों को दस्त लगातार हो रही है तो कोरोना टेस्ट जरुर कराएं।

सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज के एसआईसी और वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज यादव ने बताया कि कोरोना का संक्रमण अब बच्चों में भी मिल रह है। लेकिन बच्चों की ऑर्गन के काम करने की क्षमता बड़ों की अपेक्षा ज्यादा होती है। इस कारण बच्चों में कोरोना के ज्यादा लक्षण सामने नहीं आ पा रहे हैं। बच्चे ऐसी स्थिति में गैर लक्षण वाले कैरियर साबित हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल बच्चों में दस्त-उल्टी और बुखार व डायरिया जैसे ही लक्षण सामने आ रहे हैं। इस स्थिति में बच्चे की आरटीपीसीआर जांच अवश्य करा लेनी चाहिए।

चिकित्सक से सलाह लें, घबराए नही

डॉ. नीरज ने बताया कि खांसी, हल्का कफ, बुखार और बदन दर्द होने पर भी बच्चे को तुरंत डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाएं दें। उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में दस्त को भी कोरोना के लक्षण के तौर पर देखा गया है। इसलिए अगर बच्चे को दस्त है तो उसे हल्के में न लें। डॉक्टर से सम्पर्क करें और बच्चे के भीतर पानी की कमी न होने दें। उन्हें ओआरएस का घोल पिलाएं।

उन्होंने कहा कि डायरिया पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु का एक बड़ा कारण है। बार-बार बच्चों को डायरिया होने पर उनमें कुपोषण का खतरा बढ़ जाता है। अक्सर बच्चों में डायरिया होने पर डिहाइड्रेशन यानी निर्जलीकरण की संभावना रहती है, जिससे बच्चे के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।

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साफ सफाई पर दे विशेष ध्यान

बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए उनकी साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। दूषित भोज्य पदार्थों व दूषित जल सेवन से बचाएं। हमेशा उनको उबालकर या क्लोरीनेशन किया हुआ पानी ही पिलाएं। बच्चों को मास्क पहनने तथा शारिरिक दूरी बनाने की सीख दें, हमेशा साबुन से हाथ धुलने की आदत का विकास करें, सामूहिक खेल न खेलने दें, सार्वजनिक कार्यक्रमों में बच्चों को कदापि न ले जाएं, बच्चा छोटा है तो हमेशा उस पर निगरानी करें, छह माह से छोटे बच्चों को केवल मां का ही दूध पिलाएं। अगर बच्चे को दस्त की समस्या हो गई है तो घबराएं नहीं बल्कि किसी दवा से पहले पानी की कमी से बचाएं। इसके लिए बच्चे को तरल पदार्थ दें।