कानपुर: फरवरी माह में तापमान लगातार सामान्य से अधिक चल रहा है और मार्च माह में भी तापमान सामान्य से अधिक बने रहने की संभावना है। ऐसे में गेंहू की फसल समय से पहले पक जाएगी और उसके उत्पादन पर असर पड़ सकता है। इससे किसानों को नुकसान होने की भी संभावना बढ़ गई है।
चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने सोमवार को बताया कि तापमान में मौजूदा वृद्धि मार्च में भी बनी रहती है तो रबी गेहूं का उत्पादन प्रभावित होगा और पैदावार पिछले साल के निचले स्तर के बराबर या उसकी तुलना में कुछ कम होगा। एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। गेहूं के उत्पादन में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान देने वाले उत्तर प्रदेश में खरीफ धान की फसल के बाद समय पर बुवाई के कारण पूर्वी हिस्से में अपेक्षाकृत अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
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शोध एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि अगर मार्च में अधिक तापमान बना रहता है तो देर से बुवाई के कारण पश्चिमी एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश में मामूली गिरावट देखी जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब और हरियाणा में देर से बोया गया गेहूं फूल अवस्था में पहुंचा है, जबकि जल्दी बोया गया लॉट अब दूध बनने की अवस्था में है और अधिक तापमान इन दोनों चरणों में अनाज के गठन के लिए हानिकारक हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह के अजैविक कारकों को बहुत प्रभावी ढंग से प्रबंधित करना मुश्किल है, पर पंजाब, हरियाणा और कानपुर मण्डल सहित पश्चिमी पूर्वी उ.प्र.में किसान पहले से ही जैव-उत्तेजक और विशेष उर्वरक जैसे फसल पोषक तत्वों का छिड़काव कर रहे हैं, जिससे उन्हें कुछ हद तक गर्मी की लू से निपटने में मदद मिलनी चाहिए।
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