प्रदेश हरियाणा

गुरूनानक देव व गुरू तेग बहादुर साहिब के जींद में भी पड़े थे चरण, यहां 24 घंटे चलता है लंगर

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जींदः नौंवी पातशाही गुरु तेग बहादुर साहिब जी के 400वें प्रकाश उत्सव की खुशी में ऐतिहासिक गुरद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में रविवार को धार्मिक समागम का आयोजन किया जाएगा। इसमें बाहर से आए रागी, विद्वान, कविश्री व कथा प्रचारक गुरु तेग बहादुर साहिब की जीवनी से संगतों को रूबरू करवाएंगें।

गुरु घर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि समागम में गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई जसबीर सिंह का जत्था, कथा वाचक गुरविंदर सिंह, भाई इंदरप्रीत सिंह हजूरी रागी गुरुद्वारा दुख निवारण साहिब पटियाला का जत्था, सिख मिशन हरियाणा कुरुक्षेत्र से प्रचारक गुरपाल सिंह व भाई गुरमीत सिंह असंध का कविश्री जत्था अपनी मार्मिक कविताओं द्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत को पेश करेंगें। गुरुद्वारा मैनेजर इकबाल सिंह ने बताया कि इस अवसर पर गुरु का अटूट लंगर भी संगतों में बरताया जाएगा।

यह है जींद के ऐतिहासिक गुरूद्वारा तेग बहादुर साहिब की महत्ता

गुरु घर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि गुरूद्वारा तेग बहादुर साहिब श्री गुरू नानक देव जी महाराज अपनी दूसरी यात्रा के दौरान दक्षिण को जाते हुए इस स्थान पर पधारे थे। इसके बाद श्री गुरू तेग बहादुर साहिब जी 11 अषाढ़ 1732 विक्रमी को कश्मीरी पंडितों की फरियाद सुन कर श्री आनंदपुर साहिब से दिल्ली शीश भेंट करने के लिए जाते हुए गुरूद्वारा दुख निवारण साहिब पटियाला, धमतान साहिब, खरकबूरा और खटकड़ से होते हुए जींद में यहां पहुंचे थे। इस स्थान पर गुरू तेग बहादुर साहिब ने (साधो मन का मान त्यागो) का उपदेश दिया था। यहां से चल कर गुरूजीत लाखन माजरा रोहतक होते हुए आगरा में पहुंच कर गिरफ्तारी दी थी और चांदनी चौंक दिल्ली में हिंदू धर्म और मजलूमों की रक्षा के लिए शीश भेंट किया था।

24 घंटे चलता है गुरू का अटूट लंगर

गुरु घर के प्रवक्ता बलविंदर सिंह ने बताया कि श्री गुरूद्वारा तेग बहादुर साहिब जी की चरण स्पर्श भूमि यह गुरूद्वारा साहिब पहले एक मंजी (कमरे) की शक्ल का था परंतु बाद में महाराजा रघुवीर सिंह ने इस गुरूद्वारा साहिब की इमारत बनवा दी। गुरू नानक देव जी और गुरू तेग बहादुर साहिब की चरण स्पर्शता होने के कारण यह गुरूद्वारा साहिब बहुत प्रसिद्ध है। साध संगत दूर-नजदीक से आकर श्रद्धा भावना से मन्नत मानती है। इस समय गुरूद्वारा साहिब में 24 घंटे गुरू का लंगर अटूट चलता है।

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