नई दिल्लीः त्योहारी सीजन से पहले आईबीआई ने बड़ा झटका दिया है। जैसा कि पहले उम्मीद थी, भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने शुक्रवार को रेपो रेट (repo rate) में 0.50% बढ़ोतरी का ऐलान किया है। अब RBI की रेपो रेट 5.4% से बढ़कर 5.9% हो गई है। इससे पहले आरबीआई ने अगस्त में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। मई महीने में भी हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.90% कर दिया गया था।
एमपीसी के प्रमुख आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने मुद्रास्फीति को कम करने के लिए ये कदम उठाया है। उनके अनुसार बुवाई का रकबा कम होने से गेहूं, चावल और दालों पर कीमतों का दबाव हो सकता है। सब्जियों के दाम भी बढ़ सकते हैं। महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है।
गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस वर्ष की पहली तिमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि उम्मीद से कम रही, फिर भी यह 13.5% थी और शायद प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक थी। इस साल वास्तविक जीडीपी सात फीसदी रहने का अनुमान है। आर्थिक गतिविधि सही ढंग से चल रही है और निवेश बढ़ रहा है। बैंक क्रेडिट भी बढ़ा है। विनिर्माण क्षेत्र में क्षमता उपयोग में वृद्धि हुई है जबकि निर्यात कुछ प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर रहा है। रेपो रेट बढ़ने से ईएमआई बढ़ने की भी संभावना है।
ईएमआई पर क्या पड़ेगा असर?
बता दें कि रेपो रेट (repo rate) बढ़ने से सारे लोन महंगे हो जाएंगे। दरअसल रेपो रेट वो दर होती है जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों को कर्ज मुहैया कराती है। इसके विपरीत रिवर्स रेपो रेट उस ब्याज दर को कहते हैं जो आरबीआई के पास पैसा रखने पर केंद्रीय बैंक बैंको को देती है। इसलिए आमतौर पर यह माना जाता है कि अगर आरबीआई रेपो रेट घटाएगा तो बैंक ब्याज दर कम करेंगे और अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो बैंक ब्याज दर बढ़ाएंगे। इससे आम आदमी को मिलने वाला लोन महंगा हो जाएगा।
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