Surjit Patar Death, नई दिल्लीः प्रसिद्ध पंजाबी कवि, गद्य लेखक और शिक्षाविद् सुरजीत पातर का शनिवार सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे। उन्होंने पंजाब के लुधियाना स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2012 में पद्मश्री से अलंकृत किया गया। पातर के निधन पर साहित्य अकादमी ने गहरा शोक व्यक्त किया है।
साहित्य अकादमी के सचिव डॉ। के। श्रीनिवासराव ने अपने शोक संदेश में कहा कि सुरजीत पातर के निधन से न केवल पंजाबी बल्कि संपूर्ण भारतीय साहित्य को अपूरणीय क्षति हुई है। साहित्य अकादमी परिवार दिवंगत आत्मा को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है।
Surjit Patar: साहित्य को देश-विदेश में दिलाई प्रतिष्ठा
अपने जीवनकाल में उन्होंने लेखन के माध्यम से पंजाबी भाषा और साहित्य को देश-विदेश में प्रतिष्ठा दिलाई। उनका पहला कविता संग्रह 'कोलाज' था और उनका पहला ग़ज़ल संग्रह 1978 में 'हवा विच लिखे हरफ़' नाम से प्रकाशित हुआ था। उनकी कविता और गद्य की 10 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने आठ विश्व प्रसिद्ध काव्य-नाटकों को पंजाबी में रूपांतरित किया। उन्होंने दूरदर्शन पर सूरज दा सम्मान के तहत कविता के इतिहास पर एक काव्य धारावाहिक के 30 एपिसोड किए। इसके लिए उन्होंने शोध भी किया, लिखा और प्रस्तुत भी किया। वह पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना में पंजाबी के प्रोफेसर रहे थे।
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कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से हुए सम्मानित
सुरजीत पातर (Surjit Patar) पंजाबी साहित्य अकादमी, लुधियाना और पंजाब कला परिषद, चंडीगढ़ के अध्यक्ष थे। कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मानों से अलंकृत सुरजीत पातर को काव्य संग्रह 'हनेरे विच सुलगड़ी वर्णमाला' के लिए वर्ष 1993 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। पातर के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उनके बेटे का अंतिम संस्कार ऑस्ट्रेलिया से लौटने के बाद सोमवार को किया जाएगा।