Pune Porsche Accident Case, पुणेः महाष्ट्र के पुणे में लग्जरी कार पॉर्श से हुए एक्सीडेंट के मामले में जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड (JJB ) ने नाबालिग आरोपी की जमानत रद्द कर दी है। साथ ही आरोपी को 5 जून तक बाल सुधार गृह भेज दिया गया है। नाबालिग आरोपी के अलावा उसके बिजनेसमैन पिता को भी पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें 24 मई तक पुलिस हिरासत में भी भेज दिया है।
सजा के नाम पर थी 300 शब्दों का निबंध
इससे पहले हादसे के कुछ घंटों बाद रविवार को बोर्ड ने उन्हें जमानत दे दी थी और सड़क हादसों पर 300 शब्दों का एक निबंध लिखने का आदेश दिया था कहा था, जिसके बाद लोगों ने इस फैसले की काफी आलोचना की थी। साथ ही इस हादसे पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। इस घटना को लेकर खुद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी पीड़ितों को उचित न्याय दिलाने की मांग की थी।
जिसके बाद राज्य पुलिस ने जेजेबी के आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की, जिसने उसे जेजेबी के पास वापस जाने और पिछले आदेश की समीक्षा करने का निर्देश दिया, जिसे बुधवार को मंजूरी दे दी गई।
वयस्क की तरह मुकदमा चलाने की तैयारी
बुधवार को पुणे पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को बाल सुधार गृह भेज दिया है। पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने कहा, नाबालिग ने बहुत जघन्य अपराध किया है। उसके पर वयस्क की तरह मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
इसके लिए पुलिस ने हाईकोर्ट से अनुमति मांगी है। पुणे पुलिस ने जेजेबी को यह भी सूचित किया कि जांचकर्ताओं ने आरोपपत्र में गैर इरादतन हत्या से संबंधित धारा 304 के अलावा आईपीसी की एक नई धारा 185 जोड़कर आरोप बढ़ाए हैं।
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क्या है पूरा मामला
बता दें कि 19 मई को पुणे के एक क्लब के एक नाबालिग आरोपी ने नशे की हालत में मध्य प्रदेश निवासी एक युवक और एक लड़की को अपनी पोर्श कार से कुचल दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई। दोनों एक ही कंपनी में काम करते थे। इस मामले में किशोर न्याय बोर्ड ने पहले आरोपी नाबालिग को कुछ शर्तों के साथ रिहा कर दिया था । अब तक पुलिस पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
इन शर्तों पर नाबालिग को मिली थी जमानत
7500 रुपये के दो बांड भरने होंगे । एक है निजी बांड और दूसरा है ज़मानत बांड।
दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखना होगा।
आपको आरटीओ ऑफिस जाकर नियम-कायदे पढ़ने होंगे। इसका प्रेजेंटेशन बनाकर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष प्रस्तुत करना होगा।
15 दिनों तक आरटीओ अधिकारियों के साथ काम करना होगा. यातायात नियमों को समझना होगा।
शराब की लत छुड़ाने के लिए काउंसलिंग होगी ।
मनोचिकित्सक से संपर्क करना होगा। रिपोर्ट किशोर न्याय बोर्ड को सौंपनी होगी।
जब भी बुलाया जाए तो नाबालिग को किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष उपस्थित होना होगा।