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राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड कांग्रेस के कुनबे में लग गयी सेंध, पार्टी ने उठाया बड़ा कदम

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रांचीः राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा सामने आने के साथ ही यह साफ हो गया है कि झारखंड में कांग्रेस के कुनबे में सेंध लग गयी है। पार्टी के कुल 18 विधायकों में से कम से कम नौ विधायकों ने आलाकमान के निर्देश को दरकिनार कर एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में वोट किया। राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड में कुल 80 विधायकों ने वोट किया। इनमें से 70 ने द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मत डाले। यशवंत सिन्हा को उनके गृह राज्य में मात्र 9 विधायकों के वोट मिले, जबकि एक विधायक का वोट अमान्य घोषित हुआ है।

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मतदान के पूर्व पार्टियों ने जो स्टैंड घोषित किया था, उसके मुताबिक यशवंत सिन्हा को यहां कम से कम 20 विधायकों के वोट मिलने चाहिए थे। इनमें कांग्रेस के 18, एनसीपी और भाकपा माले के एक-एक विधायक के वोट उनके पक्ष में जाने थे। एनसीपी के एकमात्र विधायक कमलेश सिंह ने मतदान के दिन ही साफ कर दिया था कि उन्होंने पार्टी लाइन से इतर अंतरात्मा की आवाज पर द्रौपदी मुर्मू को वोट किया है। माना जा रहा है कि बाकी 19 विधायकों में से जिन 10 के वोट यशवंत सिन्हा को नहीं मिले, वे कांग्रेस के विधायक ही हैं।

मतदान के पूर्व यशवंत सिन्हा ने रांची में कांग्रेस के विधायकों-सांसदों के साथ बैठक की थी। इसमें कांग्रेस के तीन विधायक डॉ रामेश्वर उरांव, अंबा प्रसाद और ममता देवी शामिल नहीं हुए थे। उन्होंने व्यक्तिगत वजहों से बैठक में आने में असमर्थता जतायी थी। 18 जुलाई को मतदान के बाद भाजपा विधायक दल के मुख्य सचेतक विरंची नारायण ने दावा किया था कि कांग्रेस के आधा दर्जन से ज्यादा विधायकों ने अपनी पार्टी के निर्णय को दरकिनार कर क्रॉस वोटिंग की है। तब कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने भाजपा के इस दावे को सरासर झूठ करार दिया था। अब चुनाव परिणाम घोषित होते ही वोटों का गणित सामने आने के बाद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ठाकुर ने कहा है कि पार्टी इसकी आंतरिक जांच करायेगी कि हमारे किन विधायकों ने पार्टी के निर्णय का अनुपालन नहीं किया है?

गौरतलब है कि झारखंड में यूपीए फोल्डर की तीन पार्टियों झामुमो, कांग्रेस और राजद की साझा सरकार चल रही है। इनमें से झामुमो ने यूपीए के स्टैंड के विरुद्ध जाकर सार्वजनिक तौर पर पहले ही घोषणा कर दी थी कि उसके सांसद-विधायक द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में मतदान करेंगे। झामुमो ने इसके पीछे तर्क यह दिया था कि देश में पहली बार किसी आदिवासी महिला का राष्ट्रपति पद पर पहुंचना गर्व की बात है।

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