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Criminal Bills: राष्ट्रपति मुर्मू ने तीन नए क्रिमिनल लॉ को दी मंजूरी, अब अंग्रेजों के जमाने के कानून हुए खत्म

Shimla: President Draupadi Murmu arrives in Shimla to receive governor, CM
Criminal Bills, नई दिल्लीः राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को तीन नए आपराधिक न्याय विधेयकों (Criminal Law Bill)को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ ही अंग्रेजों के जामने में बने तीनों कानून खत्म हो गए है।
दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद द्वारा हाल ही में पारित तीन आपराधिक कानून विधेयक पेश किए - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य कानून को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ ये तीनों ही विधेयक कानून बन गए हैं। ये तीन कानून मौजूदा औपनिवेशिक युग के भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे। इसी के साथ ही भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की पिछली तिकड़ी को अब निरस्त कर दिया गया है। इन तीनों आपराधिक विधेयकों का उद्देश्य अनिवार्य रूप से औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों को पुनर्जीवित करना है, जिसमें आतंकवाद, लिंचिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा करने वाले अपराधों के लिए दंड बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये भी पढ़ें..तारीख पर तारीख का जमाना गया…राज्‍यसभा में 3 नए क्रिमिनल लॉ बिल पास, जानें अमित शाह ने क्या कुछ बोले ?

किस में क्या हुआ बदलाव ?

आईपीसी (IPC) : कौन सा कृत्य अपराध है और इसके लिए क्या सजा होनी चाहिए ? यह आईपीसी द्वारा तय किया गया है। दरअसल भारतीय न्यायिक संहिता में 358 धाराएं होंगी (IPC में 511 धाराओं के बजाय)। विधेयक में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए हैं और उनमें से 33 के लिए जेल की सज़ा बढ़ा दी गई है। 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है तथा 23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा का प्रावधान किया गया है। जबकि छह अपराधों के लिए सामुदायिक सेवा का दंड पेश किया गया है। साथ ही 19 धाराओं को विधेयक से हटा दिया गया है। सीआरपीसी (CRPC): गिरफ्तारी, जांच और अभियोजन (मुकदमा चलाने ) की प्रक्रिया CrPC में लिखी गई है। सीआरपीसी में 484 धाराएं थीं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अब 531 धाराएं होंगी। इसमें 177 धाराएं बदली गईं। इसके अलावा 9 नई धाराएं जोड़ी गई हैं। जबकि 14 खत्म कर दी गई हैं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम: भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 प्रावधान होंगे (मूल 167 प्रावधानों के बजाय) और कुल 24 प्रावधान बदले गए हैं। विधेयक में दो नए प्रावधान और छह उप-प्रावधान जोड़े गए हैं। जबकि छह प्रावधान निरस्त या हटा दिए गए हैं। देशद्रोह अब देशद्रोहः  IPC में धारा 124A थी, जिसमें देशद्रोह के अपराध के लिए 3 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान था। बीएनएस में देशद्रोह की जगह 'देशद्रोह' लिखा गया है। बीएनएस में धारा 150 में 'देशद्रोह' से संबंधित प्रावधान किया गया है। धारा 150 में इसे 'भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाला कृत्य' के रूप में शामिल किया गया है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)