पटनाः बिहार मंत्रिमंडल की बैठक में नया हेलीकॉप्टर और जेट इंजन विमान खरीदे जाने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद सियासत गर्म हो गई है। विपक्ष द्वारा पैसे की फिजूलखर्ची को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को कहा कि पहले यही लोग खरीदने की बात कह रहे थे। पटना में एक समारोह में भाग लेने के बाद पत्रकारों द्वारा विपक्ष द्वारा विमान खरीद पर सवाल उठाए जाने के प्रश्न पर नीतीश कुमार ने कहा कि वे लोग तो पहले से ही खरीदने की बात कह रहे थे। हम लोग पहले से ही हेलीकॉप्टर रखे हुए थे। उन्होंने कहा कि बाद में हम लोगों ने उसे ट्रेनिंग के लिए दे दिया, भाड़े पर भी हेलीकॉप्टर लाया जाता है।
उन्होंने कहा कि हमने राज्य सरकार की जरूरत को देखते हुये यह फैसला लिया है। यह सबके हित में सोचकर लिया गया फैसला है। इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 250 करोड़ का 12-सीटर जेट प्लेन और 100 करोड़ का 10 सीटर हेलीकाप्टर खरीदने का सरकार का फैसला बिहार जैसे गरीब राज्य की जनता के पैसे का खुला दुरुपयोग है। इसका जनता की सेवा से कोई लेना-देना नहीं। मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए देश भर में दौरा करने और प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा करने के लिए बिहार के खजाने पर 350 करोड़ से अधिक का बोझ डालने जा रहे हैं। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि जब नीतीश कुमार ने अपने 15 साल के शासनकाल में अब तक कोई विमान-हेलीकप्टर नहीं खरीदा, तब क्या वे अपने उत्तराधिकारी के लिए यह खरीद करवाना चाहते हैं?
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मोदी ने कहा कि जो जेट विमान खरीदा जाने वाला है, उसे बिहार के केवल चार हवाई अड्डों के रनवे पर उतारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकारें नया विमान या हेलीकाप्टर खरीदने के बजाय इसे किराये पर लेना किफायती समझती हैं। विमान खरीदने पर पायलट, इंजीनियर की नियुक्ति से लेकर इसके रख-रखाव पर भारी खर्च करना पड़ता है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि बिहार सरकार भी पांच साल से किराये पर ही हेलीकाप्टर ले रही है। मोदी ने कहा कि वर्ष 2005 में राज्यपाल बूटा सिंह के समय 14.5 करोड़ रुपये में किंग एयर का जो 6 सीटर विमान खरीदा गया था, वह अब भी उड़ान के योग्य (ऑपरेशनल) है। वर्ष 1989 में सत्येन्द्र नारायण सिन्हा की सरकार ने 7 करोड़ की लागत से दो हेलीकाप्टर खरीदे थे। इनमें एक हेलीकाप्टर का इंजन बदल कर उड़ान के लायक बनाया जा सकता है। इस पर मात्र 2.5 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान है, लेकिन सरकार विमान-हेलीकाप्टर खरीदने के लिए 350 करोड़ से अधिक खर्च करना चाहती है।
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