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PM Modi का द्वारकाधीश मंदिर दौरा कृष्ण भक्तों के लिए एक संदेश ?

PM Modi visit to Dwarkadhish temple
नई दिल्लीः पीएम मोदी (PM Modi) ने गुजरात के द्वारका में रविवार को समुद्र में डुबकी लगाकर द्वारकाधीश मंदिर में पूजा-अर्चना की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे ही स्कूबा गियर पहने और जलमग्न द्वारका शहर में प्रार्थना करते हुए तस्वीरें सोशल मीडिया पर आई जिससे हर कोई हैरान रह गया। इतना ही नहीं इन तस्वीरों ने नेटिज़न्स को भी चौंका दिया। एक ओर जहां कई लोगों ने पीएम मोदी की भगवान कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति की सराहना की, तो वहीं कई हिंदू पूजा स्थलों का कायापलट सुनिश्चित करने के लिए उनकी सरकार के संकल्प की जमकर प्रशंसा की।

PM Modi दशकों पुराना हमारा सपना पूरा हुआ

प्रधानमंत्री ने भी ट्विटर पर अपना अनुभव साझा करते हुए लिखा, पानी में डूबी द्वारका नगरी में प्रार्थना करना बहुत ही अद्भुद और दिव्य अनुभव था। मुझे आध्यात्मिक वैभव और शाश्वत भक्ति के एक प्राचीन युग से जुड़ाव महसूस हुआ। भगवान कृष्ण हम सभी को आशीर्वाद दें। विशेष रूप से, द्वारका हिंदू धर्म के लिए बहुत महत्व रखता है, क्योंकि कहा जाता है कि इस पौराणिक शहर पर स्वयं भगवान कृष्ण का शासन था। प्रचलित मान्यता के अनुसार, भगवान कृष्ण के पृथ्वी छोड़ने के बाद भूमि को समुद्र ने निगल लिया था। पीएम मोदी ने आज की द्वारकाधीश की गहरी यात्रा को अपना लंबे समय का सपना बताया। उन्होंने कहा, मैं हमेशा वहां जाने और प्राचीन द्वारका शहर के अवशेषों को छूने के लिए उत्सुक था। पीएम मोदी ने कहा, मैं आज भावनाओं से भरा हुआ हूं... दशकों पुराना सपना आज पूरा हुआ है। PM-Modi-Dwarkadhish

1991 में बैठक में संघ के प्रतिनिधि के तौर पर हुए थे शामिल

एक्स हैंडल का कहना है, 1991 में, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की एक बैठक वृन्दावन में हुई थी और इसमें पीएम मोदी ने भी भाग लिया था। नरेंद्र मोदी उस वक्त वह भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहे थे और संघ के प्रतिनिधि के तौर पर बैठक में शामिल हुए थे। इस बैठक में आरएसएस ने अयोध्या में अपने राम जन्मभूमि आंदोलन को और तेज करने और अंततः देवता के जन्मस्थान पर एक भव्य राम मंदिर बनाने का संकल्प लिया। ये भी पढ़ें..पीएम मोदी ने द्वारका में की स्कूबा डाइविंग, बोले- ये दिव्य अनुभव बाद के वर्षों में मुस्लिम आक्रमणकारियों द्वारा छीन लिए गए भगवान राम भक्तों के 'अधिकारों' को बहाल करने के लिए एक बड़ा आंदोलन देखा गया। मथुरा में इस 'धर्म संसद' के बाद, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने कार सेवा फिर से शुरू की, जिससे घटनाओं की एक श्रृंखला शुरू हुई। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोर रही है और देश-दुनिया से पर्यटकों को आकर्षित कर रही है। लाखों भगवान राम भक्त और आम तौर पर हिंदू सदियों पुराने दलदल को खत्म करने में मदद के लिए पीएम मोदी को श्रेय देते हैं।

कृष्ण 'भक्तों' की मोदी सरकार से उम्मीद

'अयोध्या के भव्य श्री राम मंदिर में रामलला की स्थापना को 500 साल पुराने सपने को साकार होते देखा गया है। प्रधानमंत्री को वह सख्स माना जाता है जिन्होंने प्रभु श्रीराम को उनके सही स्थान पर पहुंचाया।' अब भगवान कृष्ण के 'भक्तों' को भी मोदी सरकार से अतीत की गलतियों को सुधारने और कृष्ण जन्मभूमि के 'मूल चरित्र' को बहाल करने की बहुत उम्मीदें हैं। चुनाव नजदीक आने के साथ, पीएम मोदी की द्वारकाधीश मंदिर की यात्रा को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है, कई लोगों का मानना है कि यह एक स्पष्ट संदेश है कि पीएम मोदी के 'तीसरे कार्यकाल' के दौरान कृष्ण जन्मभूमि का जीर्णोद्धार एक प्रमुख एजेंडा होगा। होगा। कुछ लोग इसे आधारहीन अटकलों के रूप में खारिज कर सकते हैं, लेकिन भाजपा के घोषणापत्र और देश भर के मंदिर गलियारों पर पीएम मोदी का व्यक्तिगत ध्यान दर्शाता है कि 'गति अभी शुरू हुई है'। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर(X) पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)