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मन की बात : प्रधानमंत्री मोदी ने ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को किया याद

Prime Minister Narendra Modi interacts with the beneficiaries and stakeholders of Aatmanirbhar Bharat Swayampurna Goa programme

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को दिवंगत चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत और हादसे के समय उनका हेलिकॉप्टर उड़ा रहे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को याद किया। प्रधानमंत्री ने वरुण सिंह द्वार अपने प्रधानाचार्य को लिखी चिट्ठी का भी जिक्र किया जिसमें वह छात्रों को प्रेरित करते हुए लिखते हैं कि सामान्य छात्र होना भी कोई बुरी बात नहीं है। 90 प्रतिशत हमेशा ना ला पाना कोई खराब बात नहीं है।

प्रधानमंत्री मोदी ने ने रविवार को ‘मन की बात’ के 84वें संस्करण को संबोधित करते हुए कहा कि महाभारत के युद्ध के समय, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था – ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ यानि गर्व के साथ आकाश को छूना। यह भारतीय वायुसेना का भी आदर्श वाक्य है। मां भारती की सेवा में लगे अनेक जीवन आकाश की इन बुलंदियों को रोज गर्व से छूते हैं, हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। ऐसा ही एक जीवन रहा ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का। उन्होंने कहा कि वरुण सिंह, उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया। उस हादसे में, हमने, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया। वरुण सिंह भी मौत से कई दिन तक जांबाजी से लड़े, लेकिन फिर वो भी हमें छोड़कर चले गए।

उन्होंने कहा कि वरुण जब अस्पताल में थे, उस समय मैंने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा देखा, जो मेरे ह्रदय को छू गया। इस साल अगस्त में ही उन्हें शौर्य चक्र दिया गया था। इस सम्मान के बाद उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुंच कर भी वे जड़ों को सींचना नहीं भूले। दूसरा – कि जब उनके पास जश्न मनाने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की। वो चाहते थे कि जिस स्कूल में वो पढ़े, वहां के विद्यार्थियों की जिंदगी भी एक जश्न बने। अपने पत्र में वरुण सिंह जी ने अपने पराक्रम का बखान नहीं किया बल्कि अपनी असफलताओं की बात की। कैसे उन्होंने अपनी कमियों को काबिलियत में बदला, इसकी बात की।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि वरुण ने लिखा था कि यदि वो एक भी छात्र को प्रेरणा दे सके, तो यह भी बहुत होगा। लेकिन, आज मैं कहना चाहूंगा कि उन्होंने पूरे देश को प्रेरित किया है। उनका पत्र भले ही केवल छात्रों से बात करता हो, लेकिन उन्होंने हमारे पूरे समाज को सन्देश दिया है।

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