नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के माध्यम से गुजरात के जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान (आईटीआरए) और जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) को राष्ट्र को समर्पित किया। जामनगर के आयुर्वेद अध्यापन एवं अनुसंधान संस्थान को संसद के कानून के माध्यम से राष्ट्रीय महत्व के संस्थान (आईएनआई) का दर्जा प्रदान किया गया है, जबकि जयपुर के राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को विश्वविालय अनुदान आयोग द्वारा मानद विश्वविद्यालय का दर्जा प्रदान किया गया है। पांचवें आयुर्वेद दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि धनवंतरी का दिन इस बार का आयुर्वेद दिवस गुजरात और राजस्थान के लिए विशेष है। हमारे युवा साथियो के लिए भी विशेष है। आयुर्वेद में उच्च शिक्षा और स्किल डिवलमेंट से जुड़े इन बेहतरीन संस्थान के लिए पूरे देश को बधाई।
उन्होंने कहा कि हमारा पारंपरिक ज्ञान अन्य देशों को समृद्ध कर रहा है। यह प्रत्येक भारतीयों के लिए गर्व की बात है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बहुत महत्वपूर्ण ग्लोबल सेंटर फ़ॉर ट्रेडिशनल रिसर्च इंस्टीट्यूट के लिए भारत को चुना है। भारत को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने के लिए डब्लूएचओ के महानिदेशक डॉ. ट्रेडोस का आभार व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड के रूप में उभरा है। आयुर्वेद को देश की आरोग्य नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया गया। यह हमेशा से स्थापित सत्य रहा है भारत के पास आरोग्य से जुड़ी कितनी बड़ी विरासत है लेकिन यह ज्ञान ज्यादातर किताबों में रहा है और थोड़ा बहुत दादी और नानी के नुस्खों में रहा है। इस ज्ञान को आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार विकसित किया जाना आवश्यक है। इसलिए देश में पहले बार पुरानी चिकित्सा के ज्ञान को 21 वीं सदी के आधुनिक ज्ञान के साथ जोड़ा जा रहा है। नई रिसर्च की जा रही है।
देश के स्टार्ट अप करने वालों का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि आयुर्वेद की ग्लोबल डिमांड बढ़ रही है। 21वीं सदी का भारत होलिस्टिक तरीके से सोचता है। देश में डेढ़ लाख हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर हिन्दुस्तान के साढ़े 12 हजार सेंटर आयुर्वेद से जुड़े बन रहे हैं। कोरोना से मुकाबले के लिए कोई प्रभावी तरीका नहीं था। भारत के घर घर में इम्युनिटी बूस्टर के उपाय बहुत काम आए। कोरोना काल में पूरी दुनिया में आयुर्वेद प्रोडक्ट की मांग बढ़ी है। इस साल सितंबर में इसका निर्यात 45 प्रतिशत तक बढ़ा है। मसालों के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। पूरी दुनिया में आयुर्वेद समाधानों पर विश्वास बढ़ रहा है। हल्दी से जुड़ी पेय पदार्थ का प्रचलन बढ़ रहा है। कोरोना के इस काल में हमारा फोकस आयुर्वेद के उपयोग तक सीमित नहीं रहा।
आज एक तरफ भारत जहां वैक्सीन टेस्टिंग कर रहा है वहीं आयुर्वेद की दिशा में भी तेजी से काम कर रहा है । आयुष मंत्रालय एक व्यापक योजना पर काम कर रहा है। अश्वगंधा, गिलोये, तुलसी की कीमतें बढ़ी। इस बार अश्वगंधा की कीमत दो गुना हो गई, इसका सीधा लाभ इन जड़ी बूटियों की खेती करने वालों को पहुंचा है। ऐसे लगभग 50 औषधीय पौधें है जिनकी सब्जियां के रूप में उपगिता है जिसके लिए कृषि विभाग की मदद से बड़ा परिवर्तन आ सकता है। देश में हेल्थ एंड वेलनेस से जुड़े टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा। इस मौके पर आयुष मंत्री श्रीपद नायक, राजस्थान के मुख्यमंत्री आशोक गहलोत और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी भी मौजूद रहे।