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समाज में क्षीण होते रिश्तों को दर्शा गया नाटक 'सादर प्रणाम'

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लखनऊः उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से आयोजित हो रहे ‘लेखक एक नाटक अनेक’ नाट्य समारोह की दूसरी शाम मंगलवार को लखनऊ की नाट्य संस्था मंचकृति ने नाटक ‘सादर आपका’ की प्रस्तुति दी। इसके निर्देशक वरिष्ठ रंगकर्मी गोपाल सिन्हा थे। नाटक ने आधुनिक समय में क्षीण होते रिश्तों के प्रति दर्शकों को सचेत किया। नाटक के लेखक पद्मश्री दया प्रकाश सिन्हा है।

गोमती नगर स्थित अकादमी संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में मंचन से पहले अकादमी सचिव तरुण राज ने बताया कि भारतेन्दु नाट्य अकादमी उत्तर प्रदेश और सुमुखा, नई दिल्ली के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है। मुख्य अतिथि पूर्व प्रशासनिक अधिकारी जय शंकर मिश्र, वरिष्ठ रंगकर्मी एवं फिल्म अभिनेता अनिल रस्तोगी एवं अकादमी सचिव तरुण राज ने दीप जलाकर समारोह शुभारंभ किया।

नाटक की कहानी एक युवा के इर्द-गिर्द घूमती है। वह अपने छोटे से शहर से देश की राजधानी दिल्ली पहुंचता है। वह वहां किराए पर मकान ढ़ूढता है। यहां से शुरू होती है मध्यम वर्गीय परिवार की महत्वाकांक्षाएं। नाटक के अनुसार महत्वाकांक्षाओं का स्वार्थ इतना बलवती हो जाता है कि सामाजिक रिश्ते भी उसके आगे क्षीण हो जाते हैं। उसके परिणामस्वरूप ऐसे संबंध भी कायम होते हैं जो भ्रष्ट समाज के द्योतक हैं। नाटक में दिखाया गया कि महत्वाकांक्षी मां और हीन भावना से घिरे पिता के बीच चल रहे शीतयुद्ध का शिकार और कोई नहीं उनकी बेटी होती है।

मंच पर ब्रह्मानंद का किरदार वरिष्ठ रंगकर्मी राजा अवस्थी ने प्रभावी रूप से अभिनीत किया। विलायती की भूमिका रवि शुक्ला शिब्बू, लज्जा का अनीता शुक्ला, रोहित का अम्बरीश बॉबी, रेखा का चंचला बनर्जी, गोपाल कृष्ण का किरदार संगम बहुगुणा और धनेश का अंकुर सक्सेना ने किया।

नाटक के निर्देशक गोपाल सिन्हा ने इस अवसर पर बताया कि 11 नवंबर, 1976 को इस नाटक का सर्वप्रथम मंचन स्थानीय नाट्य संस्था संकेत द्वारा प्रस्तुत किया गया था, जिसमें रोहित की प्रमुख भूमिका में गोपाल सिन्हा ने अभिनय किया था। उसके बाद साल 2017 में गोपाल सिन्हा के निर्देशन में इस नाटक का मंचन लखनऊ में किया गया। नाट्य समारोह में बुधवार को दिल्ली की सुमुखा संस्था की ओर से अरविंद सिंह के निर्देशन में नाटक अपने अपने दांव का मंचन किया जाएगा।