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जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की याचिका खारिज

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कोर्ट की सुनवाई के लिए दोनों पक्षकारों की सहमति के उसके आदेश को चुनौती देने वाली जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की याचिका खारिज कर दी है। दरअसल उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कोरोना संकट के दौरान उनकी पत्नी पायल अब्दुल्ला के साथ तलाक संबंधी मामले की सुनवाई इसलिए नहीं हो सकी, क्योंकि पायल अब्दुल्ला ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के लिए सहमति नहीं दी।

जस्टिस हीमा कोहली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि पायल अब्दुल्ला की ओर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के लिए सहमति नहीं देने के आधार पर हाईकोर्ट के आदेश को गलत नहीं ठहराया जा सकता है। उमर अब्दुल्ला ने पिछले जुलाई महीने में इस मामले पर जल्द सुनवाई के लिए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने जल्द सुनवाई की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार ने अपने 26 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि जिन मामलों में अंतिम दलीलें रखी जानी हैं, उन मामलों की वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई के लिए दोनों पक्षों की सहमति जरूरी है। ऐसे में जब पायल अब्दुल्ला ने सहमति नहीं दी है तो इस याचिका पर सुनवाई कैसे हो सकती है।

उमर अब्दुल्ला ने फैमिली कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि पायल और उनके दो बेटों ने जिस गुजारा भत्ता की मांग की है, वो स्वीकार करने योग्य नहीं है। उमर की इस दलील का पायल अब्दुल्ला के वकील ने पुरजोर विरोध किया और कहा कि वह 2016 से पायल अकेले रह रही है औऱ उसे कोई खर्च नहीं दिया जा रहा है। यहां तक कि उसे अपने बेटों की फीस तक भरने के पैसे नहीं हैं। उमर ने कहा था कि पायल अपना गुजारा कर सकती हैं क्योंकि उनका अपना व्यवसाय है और दिल्ली में उनका एक घर भी है। बेटे भी अब बड़े हो गए हैं जो गुजारा भत्ता नहीं मांग सकते हैं।