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बदहाल पाकिस्तान की एयरलाइंस भी हुई कंगाल, ईंधन खरीदने के पड़े लाले, कई विमानों का संचालन ठप

Pakistan-airlines-PIA
Pakistan-airlines-PIA लाहौरः आर्थिक संकट से जूझ रही पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइंस (Pakistan airlines) भी दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है। इन एयरलाइन कंपनियों के पास ईंधन खरीदने तक के पैसे नहीं बचे हैं. शुक्रवार को सरकारी स्वामित्व वाली एयरलाइन ने स्वीकार किया कि बिल और वेतन का भुगतान करने में कठिनाई के कारण बेड़े को कुछ ही दिनों में खड़ा किया जा सकता है। सरकारी स्वामित्व वाली पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (पीआईए) के प्रवक्ता अब्दुल्ला हफीज ने कहा कि कंपनी राजकोष से तत्काल वित्तीय मदद मांग रही है, लेकिन अभी तक धन उपलब्ध नहीं कराया गया है।

रोकी गई कई उड़ानें

दशकों के कुप्रबंधन और अस्थिरता ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को डगमगा दिया है और इस साल इस्लामाबाद को डिफ़ॉल्ट से बचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ एक समझौते पर पहुंचने के लिए मजबूर होना पड़ा। हफीज ने कहा कि गुरुवार को तीन उड़ानें रोक दी गईं और वेतन भी देर से दिया गया। उन्होंने कहा, 31 के बेड़े में से 25 विमान अभी भी उड़ान भर रहे हैं, अन्य को निर्धारित या अनिर्धारित रखरखाव के लिए रोक दिया गया है। ये भी पढ़ें..पाकिस्तान में महंगाई से मचा हाहाकार, पेट्रोल-डीजल के दाम 331 रुपये के पार, रातोंरात बढ़ गई कीमतें

1955 में अस्तित्व में आया पीआईए

एक रिपोर्ट के मुताबिक, एयरलाइन (Pakistan airlines) डूबने की कगार पर है और अगर आपातकालीन फंड उपलब्ध नहीं कराया गया तो कुछ ही दिनों में उड़ान संचालन निलंबित किया जा सकता है। ब्लूमबर्ग ने बताया कि पीआईए पर 743 अरब रुपये (करीब 2.5 अरब डॉलर) की देनदारियां थीं, जो उसकी कुल संपत्ति का पांच गुना है। पीआईए 1955 में अस्तित्व में आया जब सरकार ने घाटे में चल रही एक वाणिज्यिक एयरलाइन का राष्ट्रीयकरण किया और 1990 के दशक तक तेजी से बढ़ी। बाजार उदारीकरण और कई निजी और सार्वजनिक स्वामित्व वाली एयरलाइनों के लॉन्च ने पीआईए पर भारी दबाव डाला, जिसके परिणामस्वरूप वर्षों तक घाटा हुआ। कई हमलों, अपहरणों और दुर्घटनाओं से एयरलाइन की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचा है। इसमें मई 2020 में कराची में एक एयरबस की दुर्घटना भी शामिल है जिसमें 97 यात्रियों और चालक दल की मौत हो गई। सरकार एयरलाइंस को बेचने की योजना बना रही है, लेकिन विशेष समितियों द्वारा रखे गए निजीकरण के कम से कम दो प्रस्तावों पर अभी तक कार्रवाई नहीं की गई है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)